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Jalaun: 90 के दशक से विलुप्त हुए गिद्धों की हुई वापसी, देखने वालों का लगा तांता

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90 के दशक से विलुप्त हो चुके गिद्धों की हुई बापसी लोगो मे राम भक्तों के बापसी पर खुशी की लहर है। जालौन के कोंच तहसील स्थित ग्राम पनयारा में पिछले 6 दिनों से एक पेड़ पर गिद्दों का झुण्ड देखने को मिल रहा है,जो एक सपने की तरह है।स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि रामायण में इनका भी एक प्रसंग था। ये भगवान राम के भक्त है और देश मे 22 जनवरी को रामराज्य आने वाला है। शायद इसीलिए गिद्ध भी उपस्थित हो गए है। गिद्धों को इस दुनिया मे सफाईकर्मी के रूप में माना जाता है।

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दुनिया बनाने वाले ने दुनिया बनाते वक्त हर किसी को दस्तूर के तहत एक जिम्मेदारी सौंपी है। इस सिस्टम को बनाये रखने के लिए हर एक को दस्तूर के मुताबिक जिम्मेदारी दी गयी है। फिर चाहे वे पेड़- पौधे हो, इंसान हो या पशु -पक्षी ही क्यों ना हो! यह सच है कि मनुष्य इस धरती का सबसे शानदार व्यक्तित्व है लेकिन केवल इंसान से ही इस धरती का इको सिस्टम नहीं चल सकता है। 90 के दशक में या उससे पहले के दशकों में जिन-जिन ने जन्म लिया होगा उन्होंने बड़े पंखों वाले गिद्धों को जरूर देखा होगा।

खास तौर से जब आसपास कोई जानवर मर जाता था तो झुंड बनाकर गिद्ध मंडराने लगते थे। इस पक्षी का इतिहास कितना पुराना है। इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है। इस पक्षी से जुड़ा प्रसंग रामायण में भी मिलता है। दरअसल जब लंकापति रावण माता सीता को हरण करके आकाश मार्ग से ले जा रहा था। तब माता सीता का विलाप सुनकर गिद्ध राज जटायु वहां पर आ जाते हैं और रावण से युद्ध करते हुए घायल हो जाते हैं, लेकिन गिद्धराज जटायू की यह प्रजाति अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती रही है। पर्यावरण में सफाईकर्मी के नाम से मशहूर गिद्धों की संख्या 90 दशक से खत्म हो गई थी। जो अब पुनः धीरे -धीरे झुंडों में देखने को मिल रहे है।

(जालौन से वरुण गुप्ता की रिपोर्ट)

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