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Dhirendra Krishna Shastri रामचरितमानस को राष्ट्रीय बनाया जाए ग्रंथ

Dhirendra Krishna Shastri

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Dhirendra Krishna Shastri अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरो-शोरों से चल रहीं हैं। हर कोई श्रीराम के अयोध्या वापसी पर उत्सुक है। बता दें कि 22 जनवरी को प्रभू राम मंदिर के गर्भ-गृह में सदैव के लिए स्थापित कर दिए जाएंगे। इस ख़ास दिन के लिए बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) भी बेहद प्रसन्न है। उनकी प्रसन्नता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि कृष्ण शास्त्री ने रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने की मांग कर दी।

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रामभक्तों का जिंदगीभर का सपना हुआ साकार

दरअसल, मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि  ‘रामभक्तों के लिए 22 जनवरी ऐतिहासिक है। रामभक्तों का जिंदगीभर का सपना साकार हुआ है। रामजी के विराजमान होने से दुनिया में उत्सव है। मंदिर का श्रेय सबको, संतों के त्याग को नमन है। प्रधानमंत्री मोदी का इसमें अहम योगदान है।’

राम जी की नजर में सब एक समान

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ‘रामलला के दर्शन पाने के लिए सब उत्सुक हैं। राम जी की बाल लीला के साक्षात दर्शन होंगे। मंदिर निर्माण से रामजी का काम पूरा हो रहा है। राम जी का सिद्धांत हर किसी को जिताना है। भगवान राम का व्यक्तित्व एक आदर्श मर्यादा है।’ उन्होंने कहा, ‘राम जी की नजर में सब एक समान हैं। राम जी जैसा मर्यादित-वीर कोई नहीं हैं। रामराज्य में कोई दुखी नहीं, सब सुखी हैं। दुनिया को शांति चाहिए तो राम को आदर्श मानें। रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाया जाए।’

राम मंदिर से मिलेगा लाखों को रोजगार

बागेश्वर बाबा ने कहा, ‘रामचरितमानस पर टिप्पणी करने वाले अज्ञानी हैं। रावण के खानदान वाले राम पर सवाल उठाते हैं। राजनीति चलाने के लिए राम पर सवाल होते हैं। रामचरितमानस जोड़ना सीखाता है, तोड़ना नहीं। विरोधियों को अपना नजरिया बदलने की जरूरत।’ धीरेंद्र ने कहा, ‘राम मंदिर जाने से लोगों को शांति की प्राप्ति होगी। राम मंदिर से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। ऑटो-होटल वालों को रोजगार मिलेगा। देश-विदेश से अयोध्या में सैलानी आएंगे।

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शबरी की प्रतीक्षा सिद्ध करती है कि…भगवान आएंगे

उन्होंने कहा, ‘चर्च-मस्जिद बोलने में विरोधी की नानी याद आती है। विरोधियों के परदादाओं को कुंडली हम बताएंगे। सोची-समझी प्रायोजित राजनीतिक शब्द का प्रयोग मनुवाद है। मनुवाद कोई विवाद नहीं, मानवता की बात है। मनुस्मृति किसी जाति-धर्म के खिलाफ नहीं है।’ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ‘मनुवाद को बैकवर्ड-फॉरवर्ड की लड़ाई बनाई गई। मनुवाद के सहारे शुद्ध जातिवाद की सियासत है। नया सेकुलरिज्म तैयार करके राज करने की कोशिश है। भगवान राम को पाने के लिए प्रतीक्षा की जरूरत है। शबरी की प्रतीक्षा सिद्ध करती है..भगवान आएंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जातिवाद भारत के मूल विचारों को परेशान कर रहा है। जातिवाद की वजह से भारत के विश्वगुरु बनने में रोड़ा है। जातिवाद के खतरे को मिटाने के लिए हिंदू राष्ट्र का प्रण है। राम मंदिर पर बयानबाजी करने वाले मूर्ख हैं। मस्जिद का नाम लेकर देश में फूट डालने की कोशिश है।’

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