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Tripura: CPM का दावा- ‘हिंदू संगठनों से जुड़े लोग मस्जिद को मंदिर बताकर फैला रहे हैं तनाव’

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Tripura: सीपीएम ने मंगलवार को दावा किया है कि त्रिपुरा में हिंदू संगठनों (Hindu Institutes) से जुड़े कुछ लोग एक प्राचीन मस्जिद (Ancient Mosque) को मंदिर बताकर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

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प्राचीन मस्जिदों को बताया जा रहा है मंदिर

सीपीएम के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने बताया है कि साल 1993 के बाद से हर साल धीमाताली में स्थित मस्जिद के पास संघाती मेला लगता आया है. और बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी ऐसा हो रहा है. चौधरी ने दावा किया है कि सत्तारूढ़ दल की समर्थित संस्थाएं इस इमारत को जगन्नाथ मंदिर के रूप में परिभाषित कर रही हैं.

अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को प्रार्थना करने से रोका गया

इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि हाल ही में पुलिस की वर्दी पहने सुरक्षाकर्मियों ने अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों को इस जगह पर प्रार्थना करने से रोका था.

चौधरी ने बताया, “हाल ही में संपन्न हुए संघाती मेले में मुख्यमंत्री मानिक साहा को एक तस्वीर भेंट की गयी जिसमें इस इमारत की तस्वीर को जगन्नाथ मंदिर के रूप में परिभाषित किया गया. यह आग भड़काने का एक विभाजनकारी कदम है. यह संभव है कि सीएम ने उस समय इस पर ध्यान न दिया हो. हम मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे तनाव पैदा करने और एकता भंग करने की कोशिश करने वालों के प्रयासों को विफल करें.”

संज्ञेय अपराध

उन्होंने ये भी कहा कि वह पुलिस प्रमुख को ये बताना चाहते हैं कि ये एक संज्ञेय अपराध है. “मुसलमानों को इस जगह पर प्रार्थना करने से रोकना स्वीकार्य नहीं है. ये देखना घोर निराशाजनक है कि वर्दी पहने हुए पुलिसकर्मी लोगों को प्रार्थना करने से रोकते हों. ये स्थिति सच में खेदजनक है.”

CPM कर रहा है राजनीतिकरण

इस मामले में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े शाह आलम ने कहा है कि सीपीएम इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है. शाह आलम मानिक साहा को तस्वीर दिए जाने के मुद्दे पर किसी तरह की टिप्पणी करने से बचते नज़र आए.

हालांकि, उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि 35 सालों से ज़्यादा समय तक चले लेफ़्ट के शासन के दौरान वक़्फ बोर्ड की कई संपत्तियां राज्य सरकार को दे दी गयीं या काडर की ओर से कब्जा ली गयीं.

वहीं, आगामी क्रिसमस पर रैली निकाले जाने को लेकर जेएसएम की शीर्ष नेता मिल रानी जमातिया ने कहा कि हम रैली निकालने को लेकर अडिग हैं जो ईसाई बने आदिवासियों की डिलिस्टिंग की मांग करती है.

उन्होंने कहा कि ये आंदोलन 1966-67 से जारी है और तब इसका नेतृत्व एमपी कार्तिक ओरांग कर रहे थे.

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