पंजाब के जिन जिलों में सबसे अधिक जलाई जाती है पराली, वहां इस तरह जागरूकता अभियान चलाएगी मान सरकार
पंजाब में हर साल लगभग 200 टन पराली पैदा होती है। इस साल राज्य में तकरीबन 31.33 लाख रुकबे में धान की फसल लगाई गई है। कृषि एक्सपर्ट्स के अनुसार विभिन्न सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान के बावजूद कुल पराली में से केवल 20-25 फीसदी पराली का ही निस्तारण हो पा रहा है। बचे हुए करीब 150 से 160 लाख टन पराली को आग लगा दी जाती है। राज्य में पिछले दो साल में पराली जलाने से स्माग की स्थिति बनी रही है जिसके कारण वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इतने बड़े स्तर पर खेतों में पराली जलाने के पीछे किसानों का तर्क है कि वे मजबूरी के चलते ऐसा करते हैं। दरअसल किसानों के पास पराली प्रबंधन को लेकर मशीनरी का कमी है।
राज्य में पराली प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाली हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल एमबी पुलाव, सुपर एसएमएस, चौपर, मल्चर जैसी अन्य मशीनों की जरूरत के अनुपात में काफी कमी है। इसके अलावा मशीनें महंगी होने के कारण हर किसान इन्हें खरीदने में असमर्थ है और ऊपर से वह पराली निस्तारण का खर्च भी खुद नहीं उठाना चाहते।
अब इस गंभीर समस्या के निस्तारण के लिए पंजाब की भगवंत मान सरकार ने बड़ा जागरूकता अभियान चलाने की पहल की है। यह अभियान उन जिलों में सबसे अधिक केंद्रित होगा जहां पराली सबसे अधिक जलाई जाती है।
पंजाब सरकार में कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल कह चुके हैं कि 27 सितंबर से प्रदेश में किसानों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की जाएगी। इसके लिए कालेज और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों का सहयोग लिया जाएगा। यह देखना अहम होगा कि कई सालों से पराली निस्तारण के लिए आर्थिक मदद की मांग कर रहे किसान क्या पंजाब सरकार की अपील मानेंगे।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक राज्य में पराली पर आधारित 16 बायोगैस प्लांट लगाए गए हैं। यहां पैदा होने वाली बायोगैस का घेरलू एवं कामर्शियल इस्तेमाल हो रहा है। एक बायोगैस प्लांट से हर महीने चार से पांच और हर वर्ष में 50 से 60 के बायोगैस सिलेंडर प्राप्त हो रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वे धार्मिक स्थानों के संचालकों को जागरूक कर रहे हैं ताकि लंगर के लिए पराली पर आधारित बायोगैस प्लांट लगा एलपीजी का खर्च बचाया जा सके।
पंजाब एनर्जी डिवेलपमेंट एजेंसी (PEDA) के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 97.50 मेगावाट क्षमता वाले वाली कुल 11 बायोमास बिजली परियोजनाएं कार्यत हैं। इनमें से मुक्तसर व होशियारपुर ज़िले में दो-दो, अबोहर, जालंधर, मानसा, मोगा, फाजिल्का, फरीदकोट और फिरोजपुर में एक-एक प्लांट काम कर रहा है। इन प्लांटों मे प्रति वर्ष कुल 8.8 लाख टन पराली की खपत होती हैं। इसके अलावा जालंधर व फतेहगढ़ साहिब में बायोमास बिजली परियोजनाएं शुरू होंगी।