HC: वीके जंजुआ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, जानें क्या है आरोप?
पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव वीके जंजुआ को एक बड़ा झटका लगा हुआ है। दरअसल वीके जंजुआ को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वे जंजुआ के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में अभियोजन की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को एक माह में प्रस्ताव भेजें। साथ ही केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इस प्रस्ताव पर तीन माहिने के अंदर फैसला लिया जाए। याचिका दाखिल करते हुए मोहाली निवासी तुलसीदास मिश्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि विजिलेंस ने ट्रैप लगाकर 2009 में तत्कालीन उद्योग निदेशक वीके जंजुआ को गवाहों की मौजूदगी में दो लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था।
क्या है जंजुआ पर आरोप
मुख्य सचिव वीके जंजुआ जंजुआ पर आरोप है कि उन्होंने एक प्लॉट की अलॉटमेंट के लिए उद्योग विभाग के सचिव रहते 6 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। 2010 में पंजाब सरकार ने उनके अभियोजन की मंजूरी दे दी थी। साथ ही केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए पत्र लिखा था। ट्रायल कोर्ट ने जंजुआ को रिहा करते हुए कहा था कि वह ऑल इंडिया सर्विस से जुड़े कर्मचारी हैं और केंद्र की मंजूरी के बिना ट्रायल को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। डिस्चार्ज के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जंजुआ को डिस्चार्ज करने के फैसले में ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की है। हालांकि यह अदालत याचिकाकर्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अपनी आंखें नहीं मूंद सकती है। कानून के शासन को कायम रखना इस न्यायालय का पवित्र कर्तव्य है और भ्रष्टाचार के मामलों में कोई भी नरमी कानून के शासन में आम आदमी के विश्वास को कम कर देगी। कोर्ट केंद्र को अभियोजन की मंजूरी का आदेश नहीं दे सकता लेकिन इस पर विचार कर उचित निर्णय लेना जरूरी है।
कोर्ट से छिपाई जानकारी
हाईकोर्ट ने कहा कि जंजुआ ने चंडीगढ़ जिला अदालत को शिकायत दी थी कि उसके खिलाफ झूठे सबूत तैयार किए गए हैं और फर्जी मामला तैयार किया गया है। जंजुआ ने हाईकोर्ट में लंबित याचिका में अपना जवाब दाखिल करते हुए बताया था कि जिला अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस को विजिलेंस अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि जंजुआ ने 2019 के आदेश के विषय में बताया था लेकिन यह नहीं बताया कि इस शिकायत को वह वापस ले चुके हैं।