Mata Mundeshwari Mandir: बिहार के कैमूर जिले की पवरा पहाड़ी पर स्थित माता मुंडेश्वरी देवी का मंदिर भक्तों की आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है। देश के कोने-कोने से यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन को पहुंचते हैं। यहां माता के आगे बकरे की रक्त विहीन बलि दी जाती है। मंदिर पुजारी मुन्ना द्वेदी ने बताया, यहां अक्षत, फूल को अभिमंत्रित कर उन्हें बलि देने के लिए लाए बकरे पर मारा जाता है। इससे बकरा मूर्छित हो जाता है। इसके बाद इसी प्रक्रिया को दोहराने बकरा होश में आ जाता है। बकरे की इस प्रकार की बलि को रक्त विहीन या अहिंसक बलि कहा जाता है।
तकरीबन दो हजार वर्ष पुराना यह मंदिर 635 ईसा पूर्व में खोजा गया। जिले के भगवानपुर प्रखंड के इस मंदिर के गर्भगृह के पूरब में बराह रूप में मां मुंडेश्वरी की मूर्ति विराजमान है। मंदिर के बीच में चौमुखी शिवजी की मूर्ति है। मान्यता है कि समय के अनुसार शिवजी की मूर्ति का रंग भी दिन में दो से तीन बार बदलता है।
अहिंसक बलि के लिए देश में विख्यात इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग से 501 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। नवरात्र में पुलिस प्रशासन के साथ-साथ मंदिर के वॉलिंटियर, जिला पुलिस बल के जवान, स्काउट गाईड भी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात रहते हैं।
पुजारी मुन्ना द्विवेदी ने बताया कि मंदिर अष्टकोणीय है। श्रद्धालु अरविंद बताते हैं कि वह पहली बार शारदीय नवरात्र में माता मुंडेश्वरी के दर्शन करने बनारस से पूरे परिवार के साथ आए हैं। विवेक और अंजली श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल दर्शन करने पहुंचते हैं। भक्तों का कहना है कि माता का यह दरबार सच्चा है।
रिपोर्ट: प्रमोद कुमार, संवाददाता, कैमूर, बिहार
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