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अचानक भड़की आग, गरीबों की मेहनत हुई खाक

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ग्वालियर में देर रात एक दुकान में अचानक आग भड़क गई। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरी दुकान को अपनी गिरफ्त में ले लिया। राहगीरों ने तत्काल पुलिस और दमकल दस्ते को सूचना दी। दमकल दस्ते ने मौके पर पहुंचकर फायर ब्रिगेड से पानी फेंककर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक दुकान में रखा लगभग 15 से 20 लाख रुपए का माल जलकर राख हो गया है। जिस दुकान में आग लगी है वह आजीविका रुरल मार्ट नेहरू पेट्रोल पंप इलाके में है। यहां महिलाओं के समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद को विक्रय किया जाता है। आग में महिलाओं की मेहनत से बनी सामग्री जलकर राख हो गई है।

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शहर के लक्ष्मीगंज नेहरू पेट्रोल पंप के पास आजीविका रुरल मार्ट नाम से शॉप है। इस शॉप में आजीविका के लिए काम करने वाले महिला समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद का विक्रय किया जाता है। यह शॉप नेहरू पेट्रोल पंप निवासी बिट्टू गुर्जर के मकान में हैं। देर रात 3 बजे के लगभग दुकान में आग लग गई। जब दुकान में आग धधकने लगी, तो इसकी भनक भवन स्वामी को लगी। उन्होंने तत्काल ही फायर ब्रिगेड को सूचना दी तथा दुकान संचालक दुर्ग सिंह को भी फोन कर दिया। दुर्ग सिंह जब तक दुकान तक पहुंचते उससे पहले ही यहां पहुंची फायर ब्रिगेड ने दुकान के ताले तोड़ते हुए आग बुझाने का काम शुरु कर दिया। फायर ब्रिगेड यहां पानी फायर कर आग पर काबू पाया है। दुर्ग सिंह ने बताया कि दुकान में आग लगने से काफी नुकसान हो गया है, कुछ सामान आग से बच भी गया है। इसका आकलन किया जा रहा है। यहां पहुंची फायद ब्रिगेड की टीम का कहना था दुकान संचालकों के अनुसार 15 से 20 लाख रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।

नेहरू पेट्रोल पंप के पास आजीविका रुरल मार्ट नाम की जिस दुकान में आग लगी है वह नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के सहयोग से संचालित हो रही थी। महिलाओं के एक दर्जन से अधिक स्व सहायता समूह से यह दुकान जुड़ी है। इन समूहों द्वारा तैयार प्रोडक्ट को यहां विक्रय के लिए रखा जाता है। इसमें सैंकड़ों महिलाओं द्वारा घरेलू मसाले तथा अन्य सामान तैयार कर इस दुकान में अपना सामान बेचने के लिए रखा जाता था। इस दुकान से जुड़े सेल्समेन यहां से सामान लेकर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं द्वारा तैयार आधा सैकड़ा तरह के उत्पाद बेचते हैं। इस दुकान का संचालन जय माता दी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष नीलिमा द्वारा किया जा रहा था जबकि दुर्ग सिंह यहां की व्यवस्थाएं देखते थे।

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