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मेट्रो कॉरिडोर को पूरा होने में लग सकता है चार-पांच साल का समय

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इस चुनावी साल में भले ही शहर में मेट्रो को ट्रायल रन हो जाएगा। लेकिन मेट्रो में सवार होकर शहर में घूमने का सपना देख रहे लोगों को कम से कम चार से पांच साल का इंतजार करना होगा। दरअसल पहले चरण के बाद अब दूसरे चरण के लिए टेंडर जारी किए गए है। पांच किलोमीटर के हिस्से के लिए तीन साल का समय दिया गया है। जबकि एमजी रोड से एयरपोर्ट तक के रुट का अभी स्वरुप तय ही नहीं हुआ है। टेंडर के बाद काम होने में अभी समय लग जाएगा। पिछले दिनों शहरी विकास मंत्रालय ने भी अपनी रिपोर्ट में इंदौर और भोपाल में मेट्रो का काम धीमी गति से चलने की बात कही थी।

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शहर में मेट्रो का काम वैसे तो कोरोना काल के पहले ही शुरू हो गया था। लेकिन बाद में यह धीमा पड़ गया था। बाद में यह काम शुरू हुआ और बीते करीब दो साल में इसके काम में काफी तेजी आई है। जिसमें 17.5 किलोमीटर के हिस्से में कारिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा गांधी नगर में 75 एकड़ में विशाल डिपो का निर्माण भी किया जा रहा है।

मेट्रो प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बताया कि अभी अगस्त सितंबर तक सुपर कारिडोर के 5.9 किलोमीटर के हिस्से को तैयार कर लिया जाएगा। जहां पर ट्रायल रन होना है। जबकि आगे के ट्रेक का काम चल रहा है। यह काम भी अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है। हाल ही में रोबोट चौराहे से लेकर पलासिया तक के हिस्से को टेंडर जारी किए गए है। जिसमें इसे पूरा करने की अवधि 1092 दिन यानी तीन साल की दी गई है। टेंडर अलाट होने के बाद कंपनी तीन साल में यह काम पूरा करेगी।

जानकारों का कहना है कि नए टेंडर में टीआइ माल के पहले तक स्लोप तक का टेंडर है। इसमें पांच स्टेशन भी आएगें। लेकिन इसके बाद के एयरपोर्ट तक के करीब 9 किलोमीटर के हिस्से में आगे क्या होगा। यह अभी तक तय नही हुआ है। मेट्रो के मध्य क्षेत्र में मेट्रो के स्वरुप को लेकर अब तक निर्णय नहीं हो पाया है। पहले यहां से मेट्रो ट्रेन का भूमिगत स्वरुप होना था। जिसे लेकर व्यापारी संगठनों ने विरोध किया। इसके बाद पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी इसका विरोध किया और इस का नया रुट रेसकोर्स रोड से होते हुए सुभाष मार्ग से ले जाने का सुझाव दिया था। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया था।

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