मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। 4 साथ ही इस जिले की अपनी अलग राजनीतिक पहचान है। जिले के तहत कुल 6 विधानसभा सीटें पड़ती हैं। इन सीटों में महराजपुर विधानसभा सीट भी शामिल है और इस पर यूं तो भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. बीजेपी ने पिछले महीने 2018 के चुनाव में हारी हुई सीटों पर रणनीति के तहत जिन 39 सीटों के प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था उसमें महराजपुर सीट भी शामिल है।
छतरपुर जिले का महराजपुर विधानसभा क्षेत्र इस साल होने वाले चुनाव के लिए जिले में सबसे ज्यादा चर्चित है। बीजेपी ने 39 उम्मीदवारों की सूची में महराजपुर के पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक के अलावा बुंदेलखंड के दिग्गज कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि चतुर्वेदी और नौगांव नगर पालिका के उपाध्यक्ष अजय दौलत तिवारी अपनी प्रबल दावेदारी कर रहे हैं।
महाराजपुर विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव की बात करें तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। यहां पर कुल 16 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला था. इस मुकाबले में वर्तमान विधायक नीरज दीक्षित ने बीजेपी के मानवेंद्र सिंह भंवर राजा को 14,005 वोटों से हराया था। चुनाव में नीरज दीक्षित को 52,461 मत मिले थे तो वहीं मानवेंद्र सिंह को 38,456 मत प्राप्त हुए थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रहे राजेश महतो को 27,902 मत प्राप्त हुए थे।
तब के चुनाव में कुल 2,06,548 वोटर्स थे, इनमें से पुरुष वोटर्स की संख्या 1,11,013 और महिला वोटर्स की संख्या 95,534 थी. इनमें से 1,42,422 (69.5%) वोट पड़े। नोट के पक्ष में 1,191 (0.6%) वोट डाले गए. फिलहाल विधानसभा सीट के कुल वोटर्स की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 2,21,607 मतदाता हैं, जिसमें से 1,03,327 महिला मतदाता और 1,18,275 पुरुष मतदाता आते हैं। यह विधानसभा क्षेत्र टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
महाराजपुर सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यह कभी भारतीय जनता पार्टी की गढ़ हुआ करता था। 1990 से लेकर 2003 तक के 4 चुनावों में बीजेपी के रामदयाल अहिरवार को जीत हासिल हुई थी। 2008 के चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह भंवर राजा को जीत हासिल हुई थी। उन्होंने बीजेपी के पुष्पेंद्रनाथ पाठक को कड़े संघर्ष में 1,391 मतों से हराया था।
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक मानवेंद्र सिंह अब बीजेपी में आ गए थे। उन्होंने तब बीजेपी के टिकट पर भी जीत हासिल की. हालांकि 2018 के चुनाव में मानवेंद्र को कांग्रेस के नीरज विनोद दीक्षित के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
इस विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग के कुशवाहा और चौरसिया समाज के अलावा एससी वर्ग के अहिरवार समाज के वोटरों की भी हार-जीत में अहम भूमिका रहती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो महाराजपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। अभी तक केवल बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी ने अपना प्रत्याशी को घोषित कर रखा है।
इस क्षेत्र के महाराजपुर नगर और गढ़ी मलहरा कस्बे का पान पूरे देश में मशहूर है। बड़ी संख्या में चौरसिया समाज के लोग यहां पान की खेती करते हैं। ऐसे में अगर 2023 के चुनाव में स्थानीय मुद्दों की बात करें तो यहां पान अनुसंधान केंद्र एवं पान विकास निगम बनाने की मुख्य मांग है, वहीं इसके अलावा शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने की भी स्थानीय मांग है।
महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र में दो नगर पालिका क्षेत्र महाराजपुर और नौगांव आते हैं, तो वहीं दो नगर परिषद क्षेत्र गढ़ी मलहरा और हरपालपुर आते हैं। महाराजपुर और गढ़ी मलहरा जो पान की खेती के लिए मशहूर है तो वहीं नौगांव कभी अंग्रेजों की छावनी हुआ करता था। शहर में करीब एक सैकड़ा चौराहे हैं, जिसकी वजह से यह चौराहों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक धरोहरों की बात करें तो यहां मऊ सहानिया में महाराजा छत्रसाल का संग्रहालय, मस्तानी महल और कई अन्य ऐतिहासिक धरोहर स्थित हैं, जो इस विधानसभा क्षेत्र की विशेषता को और भी बढ़ाते हैं।
बीजेपी ने जिन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है वह कामाख्या प्रताप सिंह टीका राजा पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह भंवर राजा के बेटे हैं। वो अलीपुरा राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। इस वजह से अलीपुर और आसपास के दर्जनों गांव में उनकी खासी पकड़ है। मानवेंद्र सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि 2008 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय भी चुनाव लड़ चुके हैं और इसमें जीत हासिल की थी।
कांग्रेस के दिग्गज नेता सत्यब्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि चतुर्वेदी भी महाराजपुर सीट से पार्टी की प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी घोषित होने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र की चुनावी तस्वीर कुछ अलग होगी। लेकिन फिलहाल यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहेगा।
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