रांची: झारखंड में गर्मी की शुरुआत के साथ ही कई इलाकों में लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार रांची, धनबाद और रामगढ़ समेत कई जिलों में भू जल की स्थिति चिंतानीय है। झारखंड विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव के एक सवाल के जवाब में सरकार ने भी इस गंभीर संकट की स्थिति को स्वीकार किया। मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सोमवार को बताया कि भू जल दोहन पर अंकुश के लिए भू गर्भ जल अधिनियम बनाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि अधिनियम बनने से भू जल दोहन को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भू जल का दोहन कम हो, इसको ध्यान में रखा जा रहा है। जल संसाधन विभाग की ओर से डीप बोरवेल आधारित सिंचाई योजना का निर्माण नहीं कराया जाता है। उन्होंने बताया कि सभी सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में 7 मार्च 2022 को आदेश जारी किया गया है। मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी, अर्द्ध सरकारी और सार्वजनिक भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड में जेपी आंदोलन का कोई मतलब नहीं है। बीजेपी विधायक विरंची नारायण के एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये बात कही। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन के आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सुविधा मिलेगा। आंदोलनकारियों को चिह्नित करने के लिए सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सेवा के पदाधिकारी की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय आयोग का गठन किया गया है।
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