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इटावा नगर पालिका में सभासदों के फर्जी हस्ताक्षर मामले ने पकड़ा तूल

Fraud in Etawah Nagarpalika

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Fraud in Etawah Nagarpalika: इटावा नगर पालिका में सभासदों के फर्जी हस्ताक्षर के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में पालिका द्वारा खरीदी जाने वाली एलईडी लाइटों के ठेके को निरस्त कर दिया गया है। सभासद का आरोप है कि यह उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश है।

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Fraud in Etawah Nagarpalika: पुलिस ने मामले में एक युवक को किया है गिरफ्तार

दो दिन पहले ही पुलिस ने इस मामले में फर्जी तरीके से सभासदों के हस्ताक्षर करके पत्र सोशल मीडिया पर वायरल करने में एक युवक को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ सभासद की तहरीर पर आईटी एक्ट व  धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। वहीं युवक से हुई पूछताछ में कुछ और लोगों के नाम भी सामने आए हैं।

Fraud in Etawah Nagarpalika: एलईडी लाइट खरीदने की निविदा की थी आमंत्रित, फिर निरस्त

दरअसल पिछले दिनों पालिका ने तकरीबन 2 करोड़ रुपये के 15वें वित्त बजट से एलईडी लाइट खरीदने के लिए निविदा आमंत्रित की थी। लेकिन मामले में डीएम से हुई शिकायत के बाद इस निविदा को निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद 16 अक्टूबर को पांच सभासदों के नाम से अधिशासी अधिकारी को संबोधित एक पत्र पालिका में रिसीव कराया गया था।

Fraud in Etawah Nagarpalika: वायरल हुआ था पत्र, सभासदों ने जताई थी आपत्ति

इस पत्र को सोशल मीडिया पर शशांक शाक्य नाम के व्यक्ति ने वायरल करते हुए लिखा कि इस बार भी दिवाली पर शहर अंधेरे में रहेगा। पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक व जिलाधिकारी को भी प्रेषित की गई थी। जिसके बाद सभासदों ने इस पर आपत्ति जताई जिन सभासदों के नाम प्रार्थना पत्र में लिखे गए थे उन्होंने एसएसपी व शहर कोतवाल को लिखित शिकायत करते हुए इस मामले में जांच की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।

Fraud in Etawah Nagarpalika: यह किसी साजिश की ओर इशारा- सभासद

इस शिकायत के बाद पुलिस ने शशांक शाक्य नाम के व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसके खिलाफ आईटी एक्ट व धोखाधड़ी की धारा में एफआईआर दर्ज की है। सभासद ललित चौबे ने बताया कि यह मामला धोखाधड़ी के साथ ही सभासदों की छवि को धूमिल करने वाला है। यह किसी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।

Fraud in Etawah Nagarpalika: अधिशासी अधिकारी बोले, मामला जांच का विषय

पुलिस मामले की जांच कर रही है। सोशल मीडिया के जरिए जो पत्र जारी किया गया है उसकी भी पड़ताल के लिए अधिशासी अधिकारी को लिखा गया है। वहीं अधिशासी अधिकारी विनय कुमार मणि त्रिपाठी का कहना है कि निविदा को पहले ही निरस्त कर दिया गया था और पुनः निविदा भी आमंत्रित कर ली गई है। यह पत्र किस कारण से जारी किया गया और सभासदों के फर्जी हस्ताक्षर क्यों किए गए यह भी जांच का विषय है।

रिपोर्टः चंचल संजय दुबे, संवाददाता, इटावा, उत्तरप्रदेश

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