Supreme Court: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह विचार किया कि प्रक्रियात्मक उलझनों के कारण याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि, “हमने स्पीकर को 10वीं अनुसूची के तहत कार्यवाही पूरी करने के लिए बार-बार समय दिया है, अब महाराष्ट्र विधान सचिवालय द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि अयोग्यता याचिकाओं का दो समूह हैं – एक शिवसेना का और एक एनसीपी का।
कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में कहा गया है दिवाली की छुट्टियों के दौरान सचिवालय बंद रहेगा और विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में होगा। हमारा मानना है कि प्रक्रियात्मक उलझनों के कारण अयोग्यता याचिकाओं के फैसले में देरी नहीं हो सकती है,”।
बता दें कि कोर्ट शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में मामले पर निर्णय लेने में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष की आलोचना की थी। पीठ का कहना था कि कार्यवाही तब तक नहीं चल सकती जब तक वह निष्फल न हो जाए।
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