DERC के अध्यक्ष का नहीं हुआ चयन तो SC ने की टिप्पणी, जानें क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली से जुड़े दो मामलों की एक साथ सुनवाई की। अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर दाखिल दिल्ली सरकार की याचिका को संविधान पीठ के पास भेज दिया है। संविधान पीठ में 5 जज होंगे। वहीं, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के प्रमुख की नियुक्ति खुद करने का फैसला लिया है।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि अरविंद केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के बीच दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के प्रमुख के लिए एक नाम पर आम सहमति नहीं बन सकी है। इस पर अदालत ने कहा कि यह दुखद है कि किसी को भी संस्था की परवाह नहीं है। अदालत ने फैसला किया कि अब वह डीईआरसी चीफ की नियुक्ति करेगी।
एलजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति ने डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति की है और अदालत को या तो अध्यक्ष के खिलाफ निषेधाज्ञा देनी चाहिए या उन्हें पद पर बने रहने देना चाहिए।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि नियुक्ति अध्यादेश के आधार पर की गई थी, जिसे चुनौती दी गई है।
संविधान पीठ बनाने में लगेगा दो महीने का वक्त
दोनों मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने की। अदालत ने कहा कि अध्यादेश की वैधता संविधान पीठ के पास जाएगी और इसमें एक या दो महीने लगेंगे। तब तक डीईआरसी कैसे काम नहीं कर सकता है?
सुनवाई अब 4 अगस्त को होगी
अदालत ने तदर्थ नियुक्ति और उस सूची पर भी दलीलें सुनीं जिसमें से नियामक प्रमुख को चुना जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वकीलों से कुछ समय इंतजार करने को कहा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम अपना फैसला खुद लेंगे। हम कोई सूची नहीं देखेंगे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को तय की है।
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