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मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, कोर्ट की निगरानी में SIT बनाने की मांग

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मणिपुर हिंसा के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।  अटॉर्नी जनरल वेंकटरमनी ने बताया कि 6500 एफआईआर का वर्गीकरण कर कोर्ट को उपलब्ध करवा दिया गया है। हमें बहुत परिपक्वता से मामले को देखने की जरूरत है. हमने कई तरह के एसआईटी के गठन का सुझाव दिया है।

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उन्होंने कहा कि हत्या के मामलों की जांच वाली एसआईटी का नेतृत्व एसपी रैंक के अधिकारी करेंगे। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामलों की जांच के लिए वरिष्ठ महिला अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी बनेगी. इसी तरह और भी एसआईटी हैं। डीआईजी उनसे रिपोर्ट लेंगे। हर 15 दिन पर डीजीपी भी समीक्षा करेंगे।

अटॉर्नी ने कहा कि हिंसा से ज्यादा प्रभावित हर जिले में 6 एसआईटी बनेंगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पहले जो 11 केस सीबीआई को सौंपे गए थे, उनकी जांच सीबीआई ही करेगी। महिलाओं से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई की महिला अधिकारी भी शामिल रहेंगी। 

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी बने। महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक उच्चस्तरीय आयोग भी बने जो पीड़ित महिलाओं से बात करे। लोग शव नहीं ले जा पा रहे हैं।

इसपर अटॉर्नी ने कहा कि उनको निहित स्वार्थी तत्वों की तरफ से रोका जा रहा है, ताकि सरकार को विफल बताया जा सके. स्थितियां जानबूझकर जटिल बनाए रखने की कोशिश है। वहीं सॉलिसीटर ने कहा कि दो दिन पहले भी एक वारदात हुई है। हर बार सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले कुछ घटना हो जाती है।

सॉलिसीटर ने कहा कि कह नहीं सकते कि क्या यह वाकई संयोग है। मेरा अनुरोध है कि राज्य सरकार पर भरोसा करें। साथ ही, अगर आप कोई हाई पावर कमिटी बना रहे हैं तो उसमें पूर्व जजों को रखें, सामाजिक कार्यकर्ताओं को नहीं।

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