Delhi HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराकर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को जारी समन पर सोमवार, 06 नवंबर को रोक लगा दी। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमित बंसल ने आदेश पारित किया और कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक 1 फरवरी, 2024 तक लागू रहेगी।
इस मामले पर कोर्ट ने नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। तीस हजारी कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने 29 अगस्त, 2023 को सुनीता केजरीवाल को समन जारी किया था। कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली भारतीय जनता पार्टी नेता हरीश खुराना द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया था। खुराना ने 2019 में सुनीता केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि वह दिल्ली के साहिबाबाद (गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र) और चांदनी चौक की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है।
तीस हजारी कोर्ट द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए सुनीता केजरीवाल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुनीता केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन पेश हुईं और उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, अपराध तभी बनता है जब कोई व्यक्ति गलत घोषणा प्रस्तुत करता है और इस मामले में, खुराना ने रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं रखा है जो साबित करता हो।
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