Delhi HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार, 24 नवंबर को उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों में वेतन के मामले में छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करने का निर्देश दिया गया था। मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की बेंच ने 17 नवंबर को एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह द्वारा पारित फैसले के पैराग्राफ 200, 204 और 205 में जारी निर्देशों पर रोक लगा दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ शिक्षकों के एक समूह द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। इसको लेकर यह कहा गया कि इन प्रस्तावित समितियों में शिक्षकों को भेजने का कोई औचित्य नहीं है और वे पहले ही उस प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। न्यायालय को आगे बताया गया कि ये समितियाँ कमोबेश न्यायिक निकाय हैं और ऐसी समितियों का गठन रिट अदालत की शक्तियों से अलग है।
कोर्ट ने एक विस्तृत आदेश में कहा था कि निजी स्कूलों को छठे और सातवें सीपीसी की सिफारिशों को लागू करना होगा और अपने शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अनुशंसित वेतन और अन्य लाभ का भुगतान करना होगा। न्यायमूर्ति सिंह ने दिल्ली सरकार को प्रक्रिया की निगरानी के लिए जोनल और केंद्रीय स्तर पर एचपीसी गठित करने का निर्देश दिया था। इसके अलावे कोर्ट ने कहा था कि केंद्रीय समिति का नेतृत्व दिल्ली के शिक्षा सचिव को करना चाहिए और इसके सदस्यों में स्कूलों का एक प्रतिनिधि भी होना चाहिए।
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