AIR Pollution: फूलने लगा दिल्ली का दम, सांस लेना हुआ मुश्किल, AQI का लेवल 300 पार
वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, अगले चार से पांच दिनों तक हवा की दिशा उत्तरी पश्चिमी रहेगी। इस दौरान हवा की रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटे से कम रहने के आसार हैं। इन इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार हो चुका है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, अभी दिल्ली के लोगों को खराब हवा से राहत मिलने के आसार कम हैं।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, शुक्रवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 261 रहा। इस स्तर की हवा को खराब श्रेणी में रखा जाता है। गुरुवार को यह सूचकांक 256 था, यानी 24 घंटे के भीतर इसमें पांच अंकों की बढ़ोतरी हुई है। चिंता की बात यह है कि दिल्ली के नौ इलाकों का सूचकांक शुक्रवार को 300 के पार रहा यानी हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, अगले चार से पांच दिनों तक हवा की दिशा उत्तरी पश्चिमी रहेगी। हवा की रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटे से कम रहने के आसार हैं। इसके चलते प्रदूषक कणों का बिखराव धीमा रहेगा और हवा की गुणवत्ता खराब या बेहद खराब श्रेणी में ही रहेगी।
सामान्य से दो डिग्री नीचे रहा दिल्ली में पारा
दिल्ली में सुबह के समय सामान्य से ज्यादा ठंड रिकॉर्ड की जा रही है। हालांकि, दिनभर धूप निकलने के चलते दिन का तापमान सामान्य बना हुआ है। मौसम विभाग की मानक वेधशाला सफदरजंग में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो कि इस समय का सामान्य तापमान है। वहीं, न्यूनतम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस रहा, यह सामान्य से दो डिग्री कम हैं।
धूल और प्रदूषण बन रहे सोरायसिस की वजह
धूल ,प्रदूषण त्वचा की बीमारी सोरायसिस की वजह बन रहे हैं। इस बीमारी को नजरअंदाज करना हृदयघात और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि, जागरुकता न होने की वजह से बहुत से लोग इस बीमारी का जल्दी इलाज नहीं कराते हैं। एम्स के स्किन डिजीज स्पेशलिस्ट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ. कौशल वर्मा ने कहा कि देश में एक से तीन प्रतिशत लोगों को यह बीमारी है। यह बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
सामान्य तौर पर यह बीमारी त्वचा से शुरू होती है, लेकिन धीरे-धीरे जोड़ों व सिर तक पहुंच जाती है। इस बीमारी में शरीर की त्वचा पर लाल चकत्ते बन जाते हैं। समय पर इलाज नहीं कराने से कई मरीजों के पूरे शरीर में यह बीमारी फैल जाती है और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है।