AAP: दिल्ली की ‘‘आप’’ सरकार ने भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को पेश किए गए बजट को जुमला करार दिया। केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने आज जो बजट पेश किया है, वो ये साबित करता है कि यह जुमलों की सरकार है। मोदी जी ने 2014 में कहा था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देंगे, लेकिन 10 साल बीतने के बाद क्या इस देश के युवाओं को 20 करोड़ नौकरियां मिली? नहीं मिली। 10 करोड़ तो बहुत दूर की बात है, पिछले 10 सालों में मोदी जी की सरकार ने एक करोड़ नौकरियां भी नहीं दी।
उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार में 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। जो युवा नौकरियां ढूंढ रहे हैं उन्हें न तो प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां मिल रही हैं और न ही सरकारी सेक्टर में और इसके बाद आज फिर एक नया जुमला दिया गया है कि 55 लाख नौकरियां देंगे।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि आज लोगों पर महंगाई की मार पड़ी हुई है। आटा, दाल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल आम आदमी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। आम आदमी अपना घर नहीं चला पा रहा है, लेकिन आज बजट में महंगाई को कम करने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है।
बजट में दिल्ली के प्रति केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार पर बोलते हुए वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली के प्रति केंद्र सरकार हमेशा सौतेला व्यवहार करती आई है। इस साल भी केंद्र सरकार ने अपने इसी रवैये को जारी रखा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली को केंद्रीय करों में उचित शेयर मिले तो दिल्ली को केंद्र सरकार के कम से कम 15,000 करोड़ रुपए मिलने चाहिए, लेकिन दिल्ली को उसके एवज में मात्र 1,000 करोड़ मिला है। साथ ही देशभर के स्थानीय निकायों के लिए केंद्र सरकार ने बजट में पैसा रखा है, लेकिन दिल्ली एमसीडी के लिए एक रुपए भी नहीं रखा है, जो दिल्ली के प्रति इनका सौतेला व्यवहार दिखाता है।
यह बजट खोखले वादों व जुमलों का पिटारा है। इससे पता चलता है कि मोदी सरकार ने एक बार फिर गरीबों और बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। ठीक उसी तरह जैसा वो पिछले 10 वर्षों से करती आ रही है। ‘‘विकसित भारत’’ के वादे झूठे दावों और बिना किसी दूरदर्शी एजेंडे की बुनियाद पर बनाए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2025 के लिए अनुमानित जीडीपी वृद्धि महज 10.5 फीसद है, जो केंद्रीय बजट 2023-24 के अनुमान को दिखाता है। आखिर विकास कहां है?
सरकार ने एक बार फिर रोजगार के अवसर पैदा करने और युवाओं को सशक्त बनाने के दावे किए हैं, लेकिन यह कैसे होगा, इस पर फोकस सीमित है। साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा करने का वादा किया था। इस वादे के हिसाब से 2024 तक 20 करोड़ नौकरियां मिल जानी चाहिए थीं। आज सरकार से यह उम्मीद थी कि वो बताएगी कि कितनी नौकरियां मिलीं? लेकिन सरकार इस बारे में चुप रही। हालांकि, उसने पिछले साल संसद में स्वीकार किया था कि 2014 से भारत में केवल 1.25 करोड़ नौकरियां बनी हैं। इससे हकीकत का पता चलता है।
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