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भारत में सिर और गर्दन के कैंसर के 30% मामले, तम्बाकू सेवन की समस्या को रोकना है जरूरी

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Head and neck cancer: विश्व में अधिकांश हिस्से के साथ भारत सिर और गर्दन कैंसर के मामलों के बहुत बड़े बोझ का सामना कर रहा है। सबसे ज्यादा संवेदनशील समाज का वंचित हिस्सा है, खासकर वर्कर्स और मजदूरों के बीच तम्बाकू के बड़े सेवन से यह समस्या विकराल है। इसके लिए राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं रिसर्च केंद्र (आरजीसीआईआरसी) द्वारा ‘सिर और गर्दन का कैंसर: देखभाल से उत्तरजीविता तक का रास्ता’ (हैड एंड नेक कैंसर: ब्रिजिंग द गैप फ्रॉम क्योर टू सर्वाइवरशिप) विषय पर आयोजित ‘आरजीकॉन’ के 22वें संस्करण ‘आरजीकॉन2024’ में बीमारी के शीघ्र पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।    

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“भारत में सभी तरह के कैंसर में से सिर और गर्दन के कैंसर के मामले 30% हैं, और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2040 तक इनमें 50% की वृद्धि संभव है,” आरजीसीआईआरसी के चेयरमैन श्री राकेश चोपड़ा ने कहा। “चूंकि मजदूरों में 60% लोग तम्बाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं, इसलिए समाज में सबसे बड़ा खतरा इसी वर्ग पर है। इस कारण रोकथाम के उपाय बेहद जरूरी हैं, और इसमें बीमारी का शीघ्र पता चलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरुआती चरण में पता चलने पर कैंसर के 80% मामले ठीक हो सकते हैं,” श्री चोपड़ा ने आगे कहा।  

आरजीकॉन 2024 में दुनियाभर से 250 फैकल्टी और 1000 डेलीगेट ने लिया भाग

रोग निदान में तकनीक की भूमिका को रेखांकित करते हुए आरजीसीआईआरसी के सीईओ श्री डी. एस. नेगी ने एआई के जबरदस्त प्रभाव को रेखांकित किया। एआई एल्गोरिदम बहुत जल्द कैंसर के पैटर्न की पहचान कर लेती हैं, जिससे रोग निदान की सटीकता बढ़ती है और समय भी कम लगता है। इस नवाचार से बीमारी के शीघ्र पता चलने और मरीज के स्वस्थ होने की संभावना में काफी उन्नति देखने को मिल रही है,” उन्होंने कहा।    

कैंसर के इलाज की दिशा में हुए तकनीकी उन्नति पर विचार-विमर्श करने के लिए आरजीकॉन 2024 में दुनियाभर से 250 फैकल्टी और 1000 डेलीगेट ने भाग लिया।

आरजीसीआईआरसी में ऑन्कोलॉजी सर्विसेज के मेडिकल डायरेक्टर और जेनिटो यूरो के चीफ डॉ. (प्रो.) सुधीर कुमार रावल ने शोध और नवाचार को बढ़ावा देने में सम्मेलन की भूमिका को रेखांकित किया। “बतौर एक शैक्षणिक संस्थान आरजीसीआईआरसी शोध पर काफी ज्यादा जोर देता है। वहीं आरजीकॉन कैंसर के इलाज के क्षेत्र में उभर रहे नये रुझानों का पता लगाकर उन्हें अपनाने के लिए एक मंच का काम करता है,” उन्होंने स्पष्ट किया।  

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राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और ओटोलरीन्गोलॉजी विभाग, एम्स, दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. अलोक ठक्कर ने कैंसर देखभाल के क्षेत्र में आरजीसीआईआरसी के योगदान की सराहना करते हुए उसे आशा की किरण बताया। “सामजिक कार्यकर्ताओं के समूह द्वारा स्थापित ये संस्थान ने कैंसर के इलाज के क्षेत्र में प्रशंसनीय मानक स्थापित किये हैं,” उन्होंने कहा। 

आरजीसीआईआरसी में सिर एवं गर्दन ऑन्कोलॉजी के यूनिट हैड एवं सीनियर कंसलटेंट डॉ. मुदित अग्रवाल ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वैश्विक चिकित्सा समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इस वर्ष के सम्मेलन ने सर्जरी, रेडिएशन, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और पैथोलॉजी के एक्सपर्टों के बीच सहयोग स्थापित करने में सहायता की है, जिससे मरीज देखभाल में काफी उन्नति होने की उम्मीद है।”

सिर और गर्दन का कैंसर है एशिया के लिए समस्या-डॉ ए. के. दीवान

सिर और गर्दन के कैंसर को एशिया के लिए समस्या बताते हुए आरजीसीआईआरसी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ ए. के. दीवान ने कहा, “यह गरीबों की बीमारी है, जिसके मुख्य कारण धुआंरहित तम्बाकू का सेवन और धूम्रपान है। भारत में कैंसर के हर साल लगभग 1.5 मिलियन नये मामले सामने आते हैं। साल 2022 में आरजीसीआईआरसी में लगभग 3000 मामले आये थे, जो कि कैंसर के सभी मामलों के 19% थे। लेकिन, इनमें से 30% से भी कम मरीजों की  सर्जरी हुई, क्योंकि हमारा फोकस बहुआयामी इलाज पर होता है।” 

आरजीकॉन 2024 में प्रोटॉन थेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसे उपचार के उन्नत तौर-तरीके के साथ-साथ सिर और गर्दन के कैंसर की देखभाल में एआई का उपयोग जैसे कुछ प्रमुख सत्र देखने को मिले। इसके आलावा प्रभावी पुनर्निर्माण प्रणाली और चेहरे की पुनर्भावभंगिमा (रिएनिमेशन) तकनीकों पर विचार-विमर्श के साथ-साथ भारतीय सर्जिकल रोबोट, एसएसआई मंत्रा जैसे उल्लेखनीय नवाचार प्रदर्शित किए गये।

आरजीकॉन 2024 को आयोजित करने वाली टीम में आयोजन सचिव डॉ. मुदित अग्रवाल के साथ यूनिट हैड एवं सीनियर कंसलटेंट, हैड एंड नैक ऑन्कोलॉजी, डॉ. मुनीश गैरोला, डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, डॉ. सुमित गोयल, एसोसिएट डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. रजत साहा, सीनियर कंसलटेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. सुनील पसरीचा, सीनियर कंसलटेंट पैथोलॉजी और डॉ. विकास अरोड़ा, कंसलटेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी शामिल थे।

जानें आरजीसीआईआरसी के बारे में

वर्ष 1996 में स्थापित हुआ राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र कैंसर के इलाज के लिए एशिया के प्रमुख अद्वितीय केंद्रों में गिना जाता है, जहां सुप्रसिद्ध सुपर स्पेशलिस्टों के देखरेख में अत्याधुनिक तकनीकों से विशिष्ट इलाज किया जाता है। लगभग 2 लाख वर्ग फुट में फैले और नीति बाग में एक और सुविधा के साथ रोहिणी में 500+ बिस्तरों की वर्तमान क्षमता के साथ आरजीसीआईआरसी महाद्वीप के सबसे बड़े टर्टियरी कैंसर देखभाल केंद्रों में से एक है। साढ़े तीन लाख (3.5) से ज्यादा मरीजों के सफल इलाज के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, संस्थान में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकें जैसे पूरे शरीर की रोबोटिक सर्जरी, साइबर नाइफ, टोमोथेरेपी,  ट्रू बीम (अगली पीढ़ी की इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी), इंट्रा-ऑपरेटिव ब्रैकीथेरेपी, पीईटी-एमआरआई फ्यूजन और अन्य उपलब्ध हैं।

अब तक आरजीसीआईआरसी ने 2.75 लाख से अधिक रोगियों के जीवन को प्रभावित किया है। आरजीसीआईआरसी में थ्री स्टेज एयर फिल्ट्रेशन और गैस स्केवेंजिंग सिस्टम के साथ 14 अत्याधुनिक सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और और डे-केयर सर्जरी के लिए 3 माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। संस्थान को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में घोषित किया जाता रहा है और इसे कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। यह भारत का एकमात्र संस्थान है जिसके पास कैंसर सर्जरी के लिए 3 रोबोट हैं।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया https://www.rgcirc.org/ पर क्लिक करें।

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