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Controversial Statement: इतने दिनों से राम बिना प्राण के थे क्या?- फतेह बहादुर सिंह

Controversial Statement of Fateh Bahadur

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Controversial Statement of Fateh Bahadur: आरजेडी के डेहरी क्षेत्र से विधायक फतेह बाहदुर सिंह के विवादित बयान जारी हैं। मां दुर्गा, मंदिर आदि पर विवादित बयान देने के बाद अब उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर भी विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, पूरे देश में अंधविश्वास फैलाकर रखा है कि 22 तारीख को पत्थर में प्राण डाले जाएंगे, राम में प्राण डाले जाएंगे। इतने दिन से राम बिना प्राण के थे क्या? प्राण डालने वाला कौन है। एक तरफ कहते हैं राम में शक्ति है। दूसरी तरफ कहते हैं हम उनमें प्राण डालेंगे।

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‘प्राण डालने वालों की सूची बनाई जाए’

उन्होंने कहा,  ऐसे प्राण डालने वाले लोगों की सूची बननी चाहिए। हमारी सेना के जवानों की हर बटालियन के साथ एक प्राण डालने वाले को रखें। हर हॉस्पिटल में भी एक प्राण डालने वाले को रखें। प्राण स्पेश्लिस्ट लोग हों। ताकि हमारे लोग मरें तो ये लोग उनमें प्राण डाल दें। अगर इतनी शक्ति होती तो एक भी ब्राह्मण मरता नहीं। मरने से पहले ही उसका कूपन रिचार्ज कर देते। ये अंधविश्वास फैलाना है कि नहीं।

‘प्राण नहीं डाल सकते तो समझो कर रहे हैं नाटक’

उन्होंने कहा, अगर ये प्राण नहीं डाल सकते, मरे हुए लोगों में प्राण नहीं डाल सकते। इसका मतलब ये नाटक कर रहे हैं. देश के लोगों को भ्रमित कर रहे हैं अंधविश्वास फैला रहे हैं। यह कानूनन अपराध है कि नहीं?

‘देश को काल्पनिक की ओर क्यों ले जा रहे’

उन्होंने कहा कि मंदिर की तरफ जाना मतलब गुलामी की तरफ जाना मेरा नहीं सावित्री बाई फूले का बयान है। इस संबंध में बाबा भीमराव अंबेडकर ने भी बयान दिया था। अगर यह कथन गलत है तो वो लोग कह दें कि ज्योतिर्वाफूले, सावित्री बाई फूले और बाबा साहब गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में कहा गया कि रामायण और उसके सभी पात्र काल्पनिक हैं। देश को काल्पनिक की ओर क्यों ले जाया जा रहा है।

‘देश को सुनवाई, दवाई, पढ़ाई और कार्रवाई की जरूरत’

वह बोले, आस्था दिल के अंदर होती है। किसी भी दल का मंदिर-मस्जिद बनवाने का काम है क्या? हमारे देश को सुनवाई, दवाई, कार्रवाई, पढ़ाई की जरूरत है। किसी भी शिकायत को लेकर थाना जाने का अधिकार संविधान ने दिया। और अब संविधान को नष्ट करने काम हो रहा है। मीडिया मोदी जी से पूछे कब आएगा काला धन, किसानों की आय कब बढ़ेगी।

‘अयोध्या में की गई थी लाखों बौद्धों की हत्या’

उन्होंने कहा, ये लोग बोलते हैं मंदिर जाने वाले से मैं वोट नहीं मागूंगा। क्या ये लोग अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजेंगे। क्या ये लोग शिक्षा के लिए बच्चों को मंदिर भेजेंगे। वह बोले, मौर्य वंश के शासक राजा वृह्द के समय अयोध्या साकेत के नाम से जाना जाता था। उनकी हत्या के बाद इसका नाम अयोध्या हुआ। इस दौरान लाखों बौद्धों की हत्या की गई। सरयू नदी उसकी गवाह है।

‘पहले राम आए या बुद्ध’

वहीं उन्होंने पूछा रामावतार कब हुआ? अयोध्या कांड में लिखा है कि तथागत बुद्ध और उनके अनुयायियों को वहीं दंड मिलना चाहिए जो एक चोर को मिलता है। अब सवाल उठता है कि पहले राम कि पहले बुद्ध। जब पहले बुद्ध हुए तो राम कब आए? दरअसल सरकार का काम है गरीबों के लिए विद्यालय बनवाएं अस्पताल बनवाएं। कोरोना काल में मंदिर बंद थे इसका मतलब मंदिरों में कोई शक्ति नहीं है।

‘पीएम मोदी ने 80 करोड़ जनता के हाथ थमा दिया कटोरा’

पीएम नरेंद्र मोदी ने 60 हजार विद्यालयों को बंद किया। हम लोग कलम और किताब की बात करते हैं और वो लोग त्रिशूल और तलवार की। हमारी लड़ाई कलम और किताब की लड़ाई है जो कि त्रिशूल और तलवार के खिलाफ है। उन्होंने तंज किया एक तरफ मोदी जी कहते हैं भारत विश्व गुरू बन रहा है। दूसरी तरफ कहते हैं मैं 80 करोड़ गरीबों को अनाज देता हूं। मोदी जी देश को कहां ले जा रहे हैं। इन्होंने 80 करोड़ देश की जनता को हाथों में कटोरा थमा दिया।

रिपोर्टः सुजीत श्रीवास्तव, ब्यूरोचीफ, बिहार

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