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Bihar: खुशी का जश्न मनाये या दुख का मातम, इधर बेटा बना अधिकारी उधर पिता ने तोड़ा दम

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हर पिता चाहता है कि उनका बेटा एक अधिकारी बन जाए। ऐसे ही इस पिता ने अपने पुत्र को अधिकारी बनाने का सपना देखा। पिता ने जीवन भर जीतोड़ मेहनत की और बेटे ने भी पिता के सपने को पूरा करके दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रिजल्ट आया, बेटा बिहार सरकार में एक महत्वपूर्ण पद पर पहुंचा, लेकिन जब उनके पिता को यह सूचना दी गई, वे वेंटिलेटर पर थे और थोड़ी देर बाद मर गए। अब परिवार में खुशी की जगह दुःख है। बेटे को यह खुशखबरी अपने पिता को नहीं सुनाने का दुःख है।

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बेटे ने पूरा किया पिता का सपना

दरअसल, ललन कुमार भारती, जो जमुई जिला के बरहट प्रखंड क्षेत्र के तपोवन में रहता है। जिन्होंने बीपीएससी की परीक्षा में 67वीं स्थान हासिल किया है और बिहार सरकार में एसडीएम बन गए हैं। ललन कुमार भारती एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं, जहां उनके पिता पूरे जीवन मेहनत करते रहे। ललन ने बताया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए अपने पिता से प्रेरित हुआ था। पिताजी ने अपने बेटे को अधिकारी बनने के लिए पढ़ाया और तैयार किया। लेकिन जब रिजल्ट आया और बेटा अधिकारी बन गया,  तभी एक ऐसा हादसा हो गया जिसे परिवार की खुशियां दुख में बदल गईं।

रिजल्ट की जानकारी सुनने से पहले ही पिता दम तोड़ दिया

ललन कुमार भारती ने बताया कि उसके पिता ने पेनक्रिएटिक कैंसर का निदान किया था। 4 महीने पहले परिवार को फोर्थ स्टेज कैंसर का पता चला। पिता को अलग-अलग स्थानों पर उपचार दिया जा रहा था। ललन के पिता भी रिजल्ट के दिन पटना के एक अस्पताल में भर्ती थे और वेंटिलेटर पर अपनी अंतिम सांस ले रहे थे। उनका कहना था कि रिजल्ट आने के बाद मैं अपने पिता को बताना चाहता था कि मैंने उनका सपना पूरा कर दिया है। लेकिन वह ऐसे नहीं थे कि उन्हें कुछ बताया जा सके।

खुशी और दुख दोनों में बड़ी दुविधा

पिता जगदीश दास शुरू में कोलकाता में फुटवियर का कारोबार करते थे। हालाँकि, वे बाद में वहां से वापस आए और वार्ड सदस्य के चुनाव में विजयी हुए। इसी समय उनकी बीमारी का पता चला और उनका इलाज किया गया। ललन कुमार भारती, परिवार के चार बच्चों में सबसे छोटा, बचपन से ही सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगा था। अब पूरे गांव में मातम और खुशी दोनों है। लोग ललन की सफलता पर खुशी व्यक्त करना या उसके पिता की मौत पर दुख व्यक्त करना नहीं समझ पा रहे हैं।

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