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Badrinath dham: यहां सदियों से निभाई जाती है ये परंपरा, जानिए क्या है गाड़ू घड़ा तेल कलश

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Badrinath dham: भगवान बदरी विशाल के कपाट 27 अप्रैल को खुलने हैं, जिसको लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। कपाट खोलने से जुड़ी एक परंपरा आज भी टिहरी​स्थित राजमहल में निभाई जाती है, जिसमें राजपरिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाएं अपने हाथों से तेल को निकालती हैं। इस पंरपरा के साथ ही कपाट खुलने की प्रक्रिया का शुभारंभ हो गया है।

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छह माह तक प्रयोग होने वाला तिल का तेल

चारधामों में एक भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी राज्यलक्ष्मी शाह की उपस्थिति में सुहागिन महिलाओं ने पीले वस्त्र धारणकर मूसल-ओखली और सिलबट्टे से तिल का तेल पिरोया। भगवान बदरी विशाल की मूर्ति के अभिषेक के लिए छह माह तक प्रयोग होने वाला यह तिल का तेल पिरोने के बाद गाड़ू घड़ा तेल कलश में मंत्रोच्चारण के साथ भरा गया। सुहागिन महिलाओं के हाथों से पिरोये तेल से भगवान बदरी विशाल का लेप किया जाता है। साथ ही अखंड ज्योति भी जलाई जाती है ।

टिहरी जिले के नरेंद्रनगर राजमहल से कलश यात्रा

धार्मिक परंपराओं के अनुसार श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया टिहरी जिले के नरेंद्रनगर राजमहल से कलश यात्रा के प्रस्थान के साथ शुरू हो जाती है। बसंत पंचमी पर नरेंद्रनगर राजमहल में राजपुरोहित महाराजा की जन्म कुंडली देखकर भगवान बदरी विशाल के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त निकालते हैं। इसी दिन तेल पिरोने की तिथि भी तय होती है। नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोये गए तिलों के तेल से ही कपाट खुलने पर भगवान बदरी विशाल का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद ही भगवान के स्नान-पूजन की क्रियाएं संपन्न होती हैं।

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