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शहरों के नाम बदलते-बदलते शायरों के नाम भी बदल दिए!

अकबर इलाहाबादी
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प्रयागराज: यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद कई शहरों के नाम बदले गए, रेलवे स्टेशन के नाम बदले गए और तो और घाटों के नाम भी बदल दिए गए। ये सिलसिला अब तक शहरों और पर्यटक स्थानों तक महदूद था, लेकिन यूपी के शिक्षा विभाग ने एक नया कारनामा किया है। यूपी के शिक्षा विभाग ने इतिहास में दर्ज शायरों के नामों का तखल्लुस(Surname) भी बदल दिया।

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दरअसल उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इतिहास के कई शायरों के नामों की हेरा-फेरी है।

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर About Us के सेक्शन में About AllahaBad का सेक्शन दिया है। इस सेक्शन में इलाहाबाद( अब प्रयागराज) के इतिहास की जानकारी दी गई है।

462 शब्दों के इस इतिहास दर्शन में हिंदी साहित्य का बारे में भी जानकारी दी गई है। इसमें अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी कर दिया गया है और तेग इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी लिखा गया है।

हालांकि ये बदलाव अंग्रेजी वेबसाइट में ही किया गया है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की हिंदी वेबसाइट पर शायरों के नामों में कोई बदलाव नही है।

सोशल मीडिया पर लोग आयोग का मजाक बना रहे हैं। लोगों का कहना है कि किसी शायर के नाम में इलाहाबादी है तो ये उसकी मूल पहचान है और इससे छेड़छाड करना ग़लत है।

अकबर इलाहाबादी

अकबर इलाहाबादी एक शायर थे, उन्होंने नजम, रुबाई, क़ित और कई गजलों का सृजन किया था। अकबर का वास्तविक नाम सैयद अकबर हुसैन था। उनका जन्म प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के बारां में हुआ था। 

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तेग इलाहाबादी

तेग इलाहाबादी का असली नाम मुस्तफा जैदी था। मुस्तफा जैदी का जन्म भी इलाहाबाद में हुआ था। आजादी के बाद वे पाकिस्तान चले गए। 17 साल की उम्र में, 1949 में जंजीरें का अपना पहला कविता संग्रह प्रकाशित किया, उसके बाद, ज़ंगेरें (1949), रोशनी (1950), शहर-ए-अजार (मूर्ति उपासकों का शहर; 1958), मौज मेरी सदाफ सदाफ (1960) , गारेबन (1964), कबा-ए-साज़ (1967) और कोह-ए-निदा (1971) (मरणोपरांत प्रकाशित)। उनका पूरा काम मरणोपरांत कुलियात-ए-मुस्तफा जैदी के रूप में प्रकाशित हुआ।

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