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लाखों दीये जलाकर छत्तीसगढ़ ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में किया रिकॉर्ड दर्ज

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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तालाब में शुमार और बस्तर के ऐतिहासिक धरोहर दलपत सागर शनिवार रात लाखों दियों से जगमगा उठा। बस्तर के हजारों लोगों ने कार्तिक महीने के मौके पर यहां लाखों की संख्या में दिये जलाकर दलपत सागर को रोशन कर दिया। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा इस ऐतिहासिक दलपत सरोवर को राम वन गमन पथ से जोड़ा गया है। पिछले कुछ सालों में कायाकल्प कर इसका स्वरूप को भी बदला गया है।

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पिछले 2 सालों से कार्तिक महीने में यहां दीपोत्सव मनाया जाता है बीते साल दलपत सागर में 90 हजार दिये जलाए गए थे। वहीं इस साल सवा दो लाख दिये जलाए गए और यह संख्या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है। छत्तीसगढ़ के इस मिनी अयोध्या में लोग इकट्ठे हुए, और दलपत सागर के चारों तरफ दिये जलाकर स्वच्छ बस्तर का संकल्प लिया।

दरअसल जिला और निगम प्रशासन ने दीपोत्सव का आयोजन किया था। इस आयोजन में बस्तर वासियों ने दिये, बाती और तेल का दान भी किया।शहर वासियों ने युवोदय वॉलिंटियर की मदद से दलपत सागर के परिसर में चारों ओर दिये जलाए। छत्तीसगढ़ में केवल बस्तर के इस ऐतिहासिक सरोवर में ही इस तरह का आयोजन किया गया है।

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तालाब में शुमार होने की वजह से इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। बीते साल से ही यहां कार्तिक महीने में दीपोत्सव त्यौहार की शुरुआत की गई है। कोविड की वजह से बीते साल के दीपोत्सव के दौरान यहां भीड़ कम दिखी थी। बता दें इस साल 50 हजार से ज्यादा बस्तर वासियों ने दलपत सागर के चारों ओर परिसर में सवा दो लाख दीये जलाएं।

एक साथ जलाए गए दिओं की वजह से पूरा दलपत सागर जगमग हो उठा। दीपोत्सव त्यौहार में नगर निगम, जिला प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संगठन के लोगों ने सहयोग किया। इसके साथ ही इंद्रावती बचाओ मंच और दलपत सागर बचाओ अभियान मंच के सदस्यों ने भी भरपूर सहयोग किया। दलपत सागर में दीपोत्सव त्यौहार  के दौरान बड़ी संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

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