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BCCI की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI  की याचिका पर सुनवाई की है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि भारत के संविधान  में लागू हुए नए नियम कूलिंग ऑफ पीरियड को खत्म नहीं किया जाएगा बल्कि वो वैसे ही  लागू रहेगा। आपको बता दें कि कूलिंग ऑफ पीरियड नियंम के मुताबिक बोर्ड का कोई भी अधिकारी लगातार 6 साल के काम करने के बाद 3 साल के लिए ब्रेक पर जाएगा , इस दौरान उस शख्स  के पास कोई भी पद नहीं रहेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह बोर्ड के नए संविधान में आए नए नियम ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड को खत्म नहीं करेगा। कूलिंग ऑफ अवधि का उद्देश्य यह है कि इससे जुड़े अधिकारियों का कोई निहित स्वार्थ नहीं होना चाहिए।

कूलिंग ऑफ पीरियड के नियम के मुताबिक बीसीसीआई का यह नियम है कि अब कोई भी अधिकारी राज्य क्रिकेट संघ और बीसीसीआई में लगातार 6 सालों तक काम करने के बाद 3 साल के लिए ब्रेक पर जाएगा। इस दौरान वह बोर्ड से जुड़े किसी भी पद पर नहीं रह सकता। मिली जानकारी के हिसाब से BCCI ने सुप्रीम कोर्ट को याचिका दी थी, जिसमें अमित शाह के बेटे और  बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली उर्फ दादा के कार्यकाल से जुड़ी याचिका थी जिसमें संविधान में संसोधन की बात कही गई थी।

उच्च न्यायालय ने कहीं बड़ी बातें

देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बुधवार को सुनवाई जारी रखेगी और फिर आदेश पारित करेगी। बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच से कहा कि देश में क्रिकेट का खेल काफी व्यवस्थित है।

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