शहीद दिवस : वीर शहीदों को शत-शत नमन, उनके बलिदान को सलाम

वीर शहीदों को शत-शत नमन, उनके बलिदान को सलाम
Shaheed Diwas 2025 : देश में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के तीन महान क्रांतिकारियों भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद करने का दिन है। 23 मार्च का दिन हमें न केवल उनकी कुर्बानी की याद दिलाता है बल्कि देशभक्ति की भावना को भी जागृत करता है।
देशप्रेम की भावना को उजागर करती है
देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले इन वीरों की गाथाएं सदियों तक अमर रहेंगी। भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु ने अपने प्राणों की आहुति देकर आजादी की ऐसी लौ जलाई जो आज भी करोड़ों दिलों में जल रही है। इसी भावना को व्यक्त करती हुई एक मार्मिक कविता प्रस्तुत है, जिसे लिखा है साधना श्रीवास्तव ने। यह कविता भगत सिंह के बचपन की एक प्रेरणादायक घटना को बयां करती है जो देशप्रेम की भावना को उजागर करती है।
शहीद दिवस को नमन्
आज महान है शहीद-दिवस जिसे नमन् है शत-शत बार,
अमर-बलिदानी शहीदों ने
रखी अपने देश की लाज।
भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु
खुदीराम,चन्द्र शेखर आज़ाद,
जैसों के ही बलिदान पर
‘आजाद महल’हुआ निर्माण ।
स्मृति में वो सदैव रहेंगे
दी जिन्होंने अपनी कुर्बानी
जब तक चमकेंगे चाँद-सूरज रहेंगे चमकतेअमर बलिदानी।
भगतसिंह में बचपन से ही
देश-प्रेम का भाव भरा था
होकर बड़ा मैं निश्चय ही
अपना देश आज़ाद करूंगा।
छोटी सी एक प्रेरक घटना
भगतसिंह के बचपन की
सुन कर आश्चर्य होगा सबको
एक बालक के मन की ।
पिता को एक दिन खेत में
गन्ने बोते देखा भगतसिंह ने
उत्साहित हो उठा उनका मन
कुछ आ गया उनकी समझ में ।
झट लाकर बन्दूक पिता की
गन्ने सद्दश ही बोने लगे
देख पिता ने साश्चर्य पूछा
“यह क्या करते हो मेरे बेटे ?”
खुशी और विश्वास से भरकर
दिया भगत ने सुन्दर जवाब
“आपके गन्ने की तरह ही
उग आयेगें बन्दूक हजार “
“फिर दोस्तों संग लेकर बन्दूक
हम फिरंगियों पर टूट पडेंगे
उनको अपने भारत- देश से
भगा कर ही दम लेंगे “।
सुन कर बेटे की बड़ी बात
पिता ने हंस कर गले लगाया
सोचा बेटे के दिमाग में
“देश का कितना प्रेम समाया “।
साधना श्रीवास्तव
• लेखिका
बता दें कि ऐसी ही कविताएं और कहानियां हमें अपने वीर सपूतों की कुर्बानियों को याद दिलाती हैं। आइए शहीद दिवस पर इन महान क्रांतिकारियों को नमन करें और उनकी कुर्बानी को अपने दिल में संजोएं।
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