धर्मनिरपेक्षता को अब कहा जा रहा है तुष्टीकरण : पी. चिदंबरम
West Bengal: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता शब्द को अब तुष्टीकरण कहा जा रहा है। उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में ‘लोकतंत्र का भविष्य’ विषय पर एक व्याख्यान में कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द की गलत व्याख्या की जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने कहा कि तुष्टीकरण शब्द धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को बदनाम करने की एक कोशिश है।
यदि आप हिंदू नहीं हैं, तो आप आधे नागरिक हैं
चिदंबरम ने कहा कि यदि आप हिंदू नहीं हैं, तो आप आधे नागरिक हैं। यदि आप मुसलमान हैं, तो आप नागरिक नहीं हैं। चुनाव में धर्म का जिक्र नहीं होना चाहिए। लेकिन, आज चुनाव में यह काफी हद तक हो रहा है। धर्म आस्था पर आधारित होना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि एक राजनीतिक दल लगातार हिंदुओं के अलावा किसी अन्य को उम्मीदवार बनाने से इनकार करता आ रहा है और इसकी मूल संरचना अखंड भारत, हिंदू राष्ट्र लगती है।
धर्म ही निर्णायक कारक नजर आता है
धर्म ही निर्णायक कारक नजर आता है। चिदंबरम ने कहा कि देश केंद्रीकरण की ओर बढ़ रहा है जो लोकतंत्र के विपरीत है। हम लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को कमजोर कर रहे हैं।
भाजपा सरकार ने जनगणना नहीं कराई
पी चिदंबरम ने कहा कि किसी भी आरक्षण के लाभ के संदर्भ में कोई निर्णय लेने से पहले जातिवार सर्वेक्षण जरूरी है और इसे केंद्र को जनगणना के साथ कराना चाहिए। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने जनगणना नहीं कराई है जो 2021 में होनी चाहिए थी, वह 2024 के आम चुनाव के बाद तक इसे टाल सकती है।
राज्य सरकारें राष्ट्रीय जनगणना नहीं करा सकती
सनद रहे कि उनका यह बयान बिहार सरकार द्वारा जातिवार सर्वेक्षण कराने और वंचित वर्गों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश करने के कुछ दिनों बाद आया है। चिदंबरम ने कहा कि राष्ट्रीय जनगणना केवल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। राज्य सरकारें राष्ट्रीय जनगणना नहीं करा सकती हैं।
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