तवायफ कहलाने पर क्यों गर्व करती थीं हीरामंडी की महिलाएं, बॉलीवुड की वो फिल्में जिसने खोले बदनाम गलियों के राज

Sanjay Leela Bhansali Why were the women of Hiramandi proud of being called Tawaif, those Bollywood films which revealed the secrets of infamous streets

Sanjay Leela Bhansali Why were the women of Hiramandi proud of being called Tawaif, those Bollywood films which revealed the secrets of infamous streets

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Sanjay Leela Bhansali Heeramandi Look: 

संजय लीला भंसाली जल्द अपनी पहली वेब सीरीज  हीरामंडी लेकर आ रहे हैं। ये सीरीज पाकिस्तान की बदनाम गलियां कहे जाने वाली हीरामंडी की कहानी है। इस सीरीज से संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) ओटीटी करियर की शुरुआत करने जा रहे हैं।

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हीरामंडी पाकिस्तान का एक ‘शाही मोहल्ला’, है, इसका नाम पंजाब (Sanjay Leela Bhansali) प्रांत के राजा हीरा सिंह नाभा के नाम से लिया गया। इसे पाकिस्तान के रेड लाइट एरिया के तौर पर भी जाना जाता है। एक समय ऐसा था जब ये जगह तमीज और तहजीब के लिए जानी जाती थी। मुगलकाल में तवायफें यहां केवल मुजरा पेश करती थी।। धीरे-धीरे ये जगह’ वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया और ‘हीरामंडी’ के नाम से मशहूर हो गया। नेटफ्लिक्स ने सीरीज के सभी किरदारों का पोस्टर जारी कर दिया है। इस लुक में सभी काफी खूबसूरत नजर आ रही हैं। हीरामंडी से पहले भी संजय लीला भंसाली सेक्स वर्कर्स से जुड़ी फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी बना चुके हैं। इसके अलावा भी बॉलीवुड की कई ऐसी फिल्में हैं, जो वेश्यावृत्ति पर बनी है और समय-समय पर समाज की आंखें खोलने की कोशिश करती है।

हीरामंडी की तवायफ क्यों करती थी प्राउड फील

हीरामंडी की कुछ महिलाएं ऐसी थी, जो केवल मुजरा करती हैं। इन्हें तवायफ कहा जाता है और ये तवायफ कहलाने पर प्राउड फील करती हैं। इन महिलाओं का दावा है कि वे प्रॉस्टिट्यूशन के काम में नहीं आईं। ये वो हैं, जिनकी पुरखें सदियों से यहां काम कर रही हैं। कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र मिलता है कि ये रात के 11 से 1 के बीच ही मुजरा करती हैं।

वेश्या के जीवन में प्यार की कहानी 1957 में आई प्यासा

1957 के उस दौर में आई गुरुदत्त की फिल्म प्यासा को लोगों ने बहुत पसंद किया था। फिल्म में कवि बने गुरुदत्त गुलाबो नाम की वेश्या के साथ जीवन गुजारने का फैसला करते हैं।  बेरोजगार कवि होने की वजह से समाज में जो भद्रता और सभ्यता कवि को नहीं मिली, वो गुलाबो से मिलती है।

एक मर्द की नैतिकता तो दूसरी प्यार की कहानी

1983 में रिलीज हुई डायरेक्टर श्याम बेनेगल की फिल्म मंडी पाकिस्तानी लेखक गुलाम अब्बास की कहानी पर आधारित है। फिल्म में पुरुष प्रधान समाज के भ्रष्ट और दोहरे व्यवहार को दिखाया गया है, जो वेश्या से घृणा करते थे।

वहीं 2004 में आई फिल्म चमेली एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो पत्नी के गुजरने के बाद वेश्या से काल्पनिक प्यार करने लग जाता है।

परिवार के लिए कॉल गर्ल बनी लड़की की कहानी ‘लागा चुनरी में दाग’

‘लागा चुनरी में दाग’ बनारस की एक सीधी-साधी बड़की नाम की लड़की की कहानी है, जो परिवार के लिए पैसे कमाने मुंबई जाती है, लेकिन कम पढ़े-लिखे होने के कारण उन्हें कोई काम नहीं मिल पाता।

मजबूर होकर वो घर लौटना चाहती है, लेकिन वो घर की खराब स्थिति के कारण घर नहीं लौट पाती और एक प्रोफेशनल प्रोस्टिट्यूट बन जाती है। बाद में एक नामी बिजनेसमैन को उससे प्यार हो जाता है और वो उससे शादी करने को तैयार हो जाता है।

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