कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन पर मचा बवाल, बयानों का सिलसिला हुआ शुरू

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कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज दोनों जजों की अलग- अलग राय से फैसले तीनों जजों की बड़ी बेंच को सौंप दिया गया। जहां सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने बान के खिलाफ अर्जी खारिज की जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा था। जस्टिस गुप्ता का कहना हा कि हिजाब पहनना धार्मिक स्वंतत्रता का मामला बताया हैं। वहीं जस्टिस धूलिया ने हिजाब पर बैन के खिलाफ अपना पक्ष रखा है। धूलिया ने लड़कियों की शिक्षा को ध्यान में रखा है। ऐसे में अब इस फैसले को लेकर बयानों का सिलसिला शुरू हो चुका है।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस मामले को लेकर कहा कि हम सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। हमने बेहतर फैसले की उम्मीद की थी क्योंकि दुनिया भर की महिलाएं हिजाब और बुर्का नहीं पहनने की मांग कर रही हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश अंतरिम समय में लागू रहेगा। तो वहीं दूसरी तरफ अक्सर विवादों में रहने वाले उत्तर प्रदेश संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क का इस मामले को लेकर कहना है कि भाजपा माहौल बिगाड़ रही है। लड़कियां बेपर्दा घूमेंगी तो इससे उनमें आवारगी बढ़ेगी बर्क ने कहा कि हिजाब पर बैन लगता है तो न सिर्फ इस्लाम को बल्कि समाज को भी नुकसान होगा।

दरअसल बर्क का कहना है कि इस्लाम में बच्चों को पर्दे में रहना चाहिए। हिजाब बहुत सी बुराइयों से अलग कर देता है और यही बुराइयों से बचने का रास्ता भी है। उन्होंने कहा कि बेहिजाब होने से हर समय बहुत सी बुराइयां पैदा होती है और समाज के अंदर भी बिगाड़ पैदा होता है। सरकार अपने हिसाब से अपने कानून में कुछ भी करें लेकिन मुसलमानों पर और इस्लाम के मानने वालों पर किसी तरह की पाबंदी न लगाए। इस मामले में आजाद छोड़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सांसद बर्क ने कहा कि मेरी गुजारिश है कि अभी इस मामले पर रिकंसीडर करने की जरूरत है। और रिकंसीडर करने के लिए करने के लिए दोनों जज एक जगह बैठ कर राय करें कि दोनों में सही बात कौन सी है।

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कोर्ट के इस आदेश का सम्मान किया है।

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