Rohtas: इलाज मिला, न एंबुलेंस, अस्पताल के गेट पर छटपटाती रही गर्भवती महिला और फिर…  

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Rohtas News: वो बोझिल मन से ठेला खींच रहा है. ठेले पर कोई सामान नहीं उसकी वो संतान है जिसने दुनिया देखने से पहले ही आंखें मूंद लीं. इसके साथ एक पत्नी भी, जिसने प्रसव पीड़ा तो झेली लेकिन उसके बाद भी उसे खुशी की जगह दुःख ही मिला. यह मंजर सरकारी तंत्र पर एक सवालिया निशान छोड़ गया. क्योंकि महिला का प्रसव अस्पताल के गेट पर हुआ. ऐसा नहीं कि महिला अस्पताल देर से पहुंची. दर्द में भी अस्पताल के गेट पर उसकी उम्मीद भरी नजरें तलाश रहीं थी उसे जिन्हें हम अक्सर धरती का भगवान कहते हैं. अब हाथ कुछ नहीं है. बचे है बस कुछ आरोप और प्रत्यारोप जो मरीज, तीमारदार और अस्पताल कर्मी एक दूसरे पर लगा रहे हैं.

घटना रोहतास जिले के करगहर प्रखंड की है. यहां मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। आरोप है कि जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्मियों द्वारा एक महादलित गर्भवती महिला को पैसे के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिया गया। महिला को अपने गर्भ में पल रहे शिशु से भी हाथ धोना पड़ा।

बताया जाता है कि शिवन पंचायत के सिरिसिया गांव के महादलित टोला के बबुआ मुसहर की 30 वर्षीय पत्नी उषा देवी को सोमवार को प्रसव पीड़ा हुई। इस पर उसके पति बबुआ मुसहर द्वारा उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया। आरोप है कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उससे खर्चे-पानी के नाम पर पैसे की डिमांड की गई।

पत्नी हालत देख बबुआ फौरन ब्याज पर पैसा लेने के लिए बाजार की तरफ दौड़ा लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. आरोप है कि इस दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गर्भवती महिला को अस्पताल से बाहर कर दिया गया। लगभग दो घंटे तक महादलित गर्भवती महिला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट पर इलाज के अभाव में छटपटाती रही। कुछ ही देर बाद महिला ने नवजात शिशु को जन्म दिया, जिसकी गर्भ में ही मृत्यु हो चुकी थी.

पति बबुआ मुसहर अस्पताल के गेट पर पैसे लेकर पहुंचा तो नवजात शिशु को मरा व पत्नी को अचेतावस्था में पाया। इस मंजर को देखने वालों की भीड़ भी वहां लग गई. आरोप है कि इतना सब होने के बाद भी एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. थक हार कर वह अपनी पत्नी व मरे हुए नवजात शिशु को एक ठेले पर लादकर घर चला गया।

इस संबंध में जब आशा कर्मी कुमारी अंजू प्रकाश से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सुबह मैं बबुआ मुसहर के साथ उनकी गर्भवती पत्नी उषा देवी को लेकर अस्पताल लेकर गई थी। जहां उसे सुई- दवाई दी गई। गर्भवती महिला की रिपोर्ट के अनुसार महिला के शरीर में ख़ून की कमी थी। इस बारे में चिकित्सा प्रभारी को जानकारी दी गई। जिससे मरीज को सासाराम के सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। उसने आरोप लगाया कि गर्भवती महिला का पति, पत्नी को छोड़कर भाग गया। आशा कर्मी ने बताया कि अस्पताल द्वारा एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई थी। मगर पति के नहीं रहने से सदर अस्पताल नहीं ले जाया गया। 

इन सबके बीच एक सवाल ज्यों का त्यों है कि यदि पति चला भी गया तो  लगभग दो घंटे तक अस्पताल के गेट पर प्रसव पीड़ा से पीड़ित महादलित गर्भवती महिला छटपटाती रही, इसकी ख़बर अस्पताल कर्मियों को कैसे नहीं लगी।

रिपोर्टः अश्वनी पांडेय, संवाददाता, रोहतास, बिहार

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