Navratri Day-2: मां ब्रह्मचारिणी का महत्व और पूजा आराधना विधि

शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है। नवरात्रि में, हर दिन मां का एक अलग रूप पूजा जाता है। पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है, तो दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है। कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी विश्व में ऊर्जा प्रवाह करती है और उनकी पूजा करने से सुख और शांति मिलती है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा किस तरह की जानी चाहिए, उनका मंत्र क्या है और भोग स्वरूप क्या चढ़ाना चाहिए।
मंत्र
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ती और महत्व
इस देवी ने पहले जन्म में हिमालय में पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को अपना पति बनाने के लिए बहुत तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी, या ब्रह्मचारिणी कहा गया।
ब्रह्म का अर्थ है ‘तपस्या’, और चारिणी का अर्थ है ‘आचरण’। अर्थात मां ब्रह्मचारिणी हैं जो तप करती हैं। जो व्यक्ति को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है उसे सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप, मां ब्रह्मचारिणी की साधना करने पर लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
भक्तों और सिद्धों को यह दूसरा स्वरूप माँ दुर्गाजी से अनंत लाभ मिलेगा। इनकी उपासना से लोग तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम विकसित करते हैं। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन अपनी कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।
उसे हर जगह सिद्धि और विजय मिलती है, माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से। इन्हें दुर्गा पूजा के दूसरे दिन पूजा जाता है। इस दिन साधक का मन “स्वाधिष्ठान” चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में मौजूद मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति पाता है।
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।
पूजा आराधना विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना सबसे महत्वपूर्ण है। अब मंदिर के बाहर एक आसन पर बैठकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें। अगर आपके पास माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की तस्वीर है, तो उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन या कुछ भी चढ़ाएं. भोग में सबसे पहले पंचामृत अर्पित करें। पंचामृत देते समय 108 बार ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः का जाप करना चाहिए। इसके अलावा, मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी और लौंग भी देना चाहिए। पूजा के दौरान मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और सभी को भोजन दें।