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अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में डॉ. रश्मि गौतम ने पेश किए रिसर्च पेपर, बताई रेडियो की भूमिका

DR. RASHMI GAUTAM

DR. RASHMI GAUTAM

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छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि गौतम ने इंस्टिट्यूट फ़ॉर इंजीनियरिंग रिसर्च एंड पब्लिकेशन (IFERP) साउथ कोरिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय 13-14 जुलाई 2023 को द्वितीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फेंस (ICMATSD-2023) में “Role of Radio as ICT tool in Education: A Case Study” विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। ये कॉन्फेंस ऑफलाइन एंड ऑनलाइन सम्पन्न हुई।

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शिक्षा के विकास में रेडियो की भूमिका के बारे में बताया

डॉ. रश्मि ने अपने शोध पत्र के माध्यम से भारत में शिक्षा के विकास में रेडियो की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। भारत में “रेडियो” शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का कार्य कर रहा है। शिक्षा के प्रति भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा शिक्षापरक रेडियो कार्यकृम एवं विषयगत कार्यकृम दूरस्थ शिक्षा के लिये शिक्षकों का पर्याय बनते जा रहे हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रेडियो, वेब रेडियो, ऑनलाइन रेडियो एवं पॉडकास्टिंग के रूप में युवाओं में शिक्षण संस्थानों के विकल्प हैं जो उनको विभिन्न विषयों की जानकारी देकर शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं।

इस शोध पत्र में आकाशवाणी कानपुर द्वारा प्रसारित विद्या वाणी कार्यक्रमों में बहुत से कार्यक्रम रूसा प्रोजेक्ट के अंतर्गत छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा कार्यक्रमों को शिक्षा हेतु तैयार कर प्रसारित किये गये हैं जिनका लाभ उन छात्र छात्राओं को मिला जो संस्थागत शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं। इसी तरह पूरे भारत में सामुदायिक रेडियो, पॉडकास्टिंग, रेडियो वेब पोर्टल आदि के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के रूप में रेडियो ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस शोध पत्र में डॉ. रश्मि गौतम ने भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों जैसे IIT कानपुर, IIT पुणे, चेन्नई, अन्ना रेडियो, अपना रेडियो आदि का उल्लेख किया है जो विषयगत जानकारी देते हुए अपने छात्र छात्राओं को रेडियो कार्यक्रमों का निर्माण, लेखन एवं प्रस्तुति का प्रैक्टिकल प्रशिक्षण भी देते हैं।

इस शोध पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि रेडियो जनमाध्यम होने के साथ साथ एक शिक्षक की भूमिका निभा रहा है। यही कारण है भारत में ‘स्कूल चलो अभियान’ एवं ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसे सरकारी कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन हेतु रेडियो का सहारा लिया गया और 2011 की जनगणना में शिक्षा का स्तर लगभग 76 प्रतिशत हो पाया। इसमें प्रसार भारती के ज्ञानवाणी जैसे रेडियो चैनल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. रश्मि गौतम ने प्रो. रमेश चंद्र त्रिपाठी (पूर्व विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग) के निर्देशन में “दूरदर्शन पर प्रसारित महिलाओं के कार्यक्रमों का समीक्षात्मक अध्ययन” विषय पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय से 2011 में पीएचडी की है। डॉ. रश्मि गौतम ने 2004 से 2009 तक लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में शिक्षण कार्य  किया। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित राजीव गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड 2005 में उत्कृष्ट शोध को सुचारू रूप से करने हेतु प्राप्त किया।

डॉ. रश्मि गौतम भास्कर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी में वर्ष 2009 से  2011 तक शिक्षक पद पर कार्यरत रही हैं।  छत्रपति शाहू जी महाराज विवि कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में 2011 से अनवरत असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने तमाम राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्र प्रस्तुत किया है। डॉ. रश्मि औरैया के छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने कठिन परिश्रम एवं कर्मठता से अपने माता-पिता एवं शिक्षकों का नाम रोशन किया।

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