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साइकिल और हाथी फिर होंगे एक साथ? अखिलेश यादव ने मायावती के प्रति दिखाई दरियादिली

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लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से सभी पार्टियां राजनीतिक समर में कूदने को तैयार हैं, आपको बता दें कि अखिलेश यादव के राजनीतिक सुर एक बार फिर से नर्म पड़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्यों कि सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार को उन्होंने ने दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान एक बार फिर मायावती पर निजी हमला नहीं किया और न ही बसपा को लेकर टिप्पणी की

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। इसके अलावा उन्होंने लोहियावादियों और आंबेडकरवादियों को साथ लेकर चलने की भी बात कही। अंबेडकरवादियों को साथ लेकर चलने की बात को मायावती संग एक बार फिर से गठबंधन के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।

वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो सपा ने 37 फीसदी  वोट हासिल किये, लेकिन तब भी  जादूई आंकड़ों तक नहीं पहुंच पाए। वहीं बसपा को महज एक सीट ही मिली और उसने अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद भी उसे 12 फीसदी वोट मिले थे।

ऐसे में यदि सपा और बसपा के वोटों को मिला लिया जाए तो यह 49 फीसदी हो जाता है। शायद अखिलेश इसी वजह से मायावती और बीएसपी के प्रति उदार हैं ताकि 12 फीसदी का भी साथ मिल जाए तो वह 2024 में अच्छा परिणाम दे सकते हैं। 

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