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MCD एल्डरमैन नियुक्ति पर SC ने फैसला सुरक्षित रख, LG और केंद्र पर की तीखी टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार के कैबिनेट की सहायता और सलाह के बिना उपराज्यपाल वी के सकसेना के MCD में दस एल्डरमैन की नियुक्ति के खिलाफ AAP सरकार की याचिका पर LG को जमकर लतेड़ा और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र की मोदी सरकार को भी कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि क्या स्थानीय निकाय में विशेष ज्ञान रखने वाले लोगों का नामांकन केंद्र सरकार के लिए इतनी बड़ी चिंता है?

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अपने बयान में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा “मनोनयन का अधिकार मिल जाने से LG एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई MCD को अस्थिर कर सकते हैं! आखिर एल्डरमैन के पास वोटिंग का अधिकार भी है।” यानी अगर एल्डरमैन की नियुक्ति फैसला उप-राज्यपाल करेंगे तो ये लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई एमसीडी के अधिकार का हनन होगा।

गौरतलब है कि इस संबंध में शीर्ष अदालत ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार और LG ऑफिस से लिखित दलील जमा करने करने का आदेश दिया है।

आप सरकार ने दी ये दलील

रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछली सुनवाई के दौरान AAP सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की थी कि पिछले 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार नियुक्त करती रही है और एलजी केवल सलाह देते थे। हालांकि, इस बार पहली बार ऐसा हुआ है जब एलजी ने एल्डरमैन की नियुक्ति की है और ये नियम के खिलाफ है। ये भी कहा गया कि आज से पहले भी दिल्ली में केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारें थी। हालांकि, ऐसा कभी नहीं हुआ कि एलजी ने एल्डरमैन नियुक्त किया हो।

LG ने दिया ये बयान

वहीं, दूसरी तरफ एलजी का कहना है कि उनका ये फैसला सही है और दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार प्रदेश सरकार के पास नहीं है। एलजी ने अनुच्छेद 239 एए का हवाला दिया और कहा कि इसमें कैबिनेट की सलाह लेने की जरूरत नहीं है।

आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था दिल्ली में सिविल सर्वेंट्स के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होना चाहिए। इस ऐतिहासिक फैसले में साफ-साफ कहा गया था कि लैंड, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़कर, उपराज्यपाल वी के सकसेना कोई भी फैसला नहीं ले सकते।

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