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पश्चिम यूपी में अखिलेश का ‘भाईचारा बनाम बीजेपी’, क्या दिलाएगा वोट ???

akhilesh
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पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले दो दौर की चुनावी लड़ाई अब निर्णायक फेज में पहुँच गई है. सभी महत्वपूर्ण पार्टी जैसे सत्तारूढ़ भाजपा, रालोद-सपा गठबंधन, बसपा और कांग्रेस के नेतागण जी-जान से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. पश्चिम यूपी की 58 सीटों पर पहले दौर का मतदान 10 फरवरी को है और इसके लिए चुनाव प्रचार 8 फरवरी को थम जाएगा.

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बीजेपी याद दिला रही है मुजफ्फरनगर दंगे और कैराना पलायन

भाजपा के तमाम शीर्षस्थ नेता पश्चिमी यूपी के दौरे पर हैं. इन सभी नेताओं के भाषण में मुजफ्फरनगर दंगा, कैराना पलायन और अखिलेश यादव के शासनकाल के दौरान कानून-व्यवस्था की तथाकथित दैनीय स्थिति की चर्चा होती है.

बीते रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शामली और मुजफ्फरनगर का दौरा किया. इस दोरे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम यूपी के लोगों से “दो लड़कों की जोड़ी” के नारे को लेकर सावधान रहने को कहा है. जाहिर है ये दो लड़के हैं — समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी. योगी ने दावा किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए इस गठबंधन के पास कोई रोड-मैप नहीं है.

मुजफ्फरनगर दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर योगी काफी आक्रमक नजर आए. उन्होंने कहा कि दंगों के बाद जब लोग कैराना से पलायन कर रहे थे तो ये लोग अपनी मांद में छिपे हुए थे. उनमें से एक ने लखनऊ में बैठकर दंगे करवाए, जबकि सुरेश राणा, संजीव बालियान जैसे भाजपा नेता अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों की हिफाजत कर रहे थे. योगी ने दावा किया कि साल 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही इलाके में शांति बहाल हुई थी.

योगी ने भीड़ से सवाल किया कि सचिन और गौरव जैसे युवाओं का क्या कसूर था? वे बस अपनी बहनों को बचाने की कोशिश कर रहे थे और बदले में एसपी के गुंडों ने उन दोनों को मार डाला. उन्होंने कहा, “अब ये दंगाई अपने गले में तख्तियां लटकाए हुए अपने जीवन की भीख मांगते हुए घूम रहे हैं.”

योगी ने अपने भाषणों में कहा कि आज कैराना और कांदला से पलायन नहीं हो रहा और पश्चिमी यूपी की हर बेटी अपने सुरक्षित महसूस करती है.

सपा को वोट देकर माफियाओं को सचिवालय में मत बैठाना- शाह

इसी तरह बुलंदशहर में एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “यदि आप (सपा को) वोट देने की गलती करते हैं तो माफिया लोग लखनऊ के राज्य सचिवालय में बैठेंगे .” शाह ने भीड़ को याद दिलाया कि योगी आदित्यनाथ के शासन में माफिया या तो जेल में हैं, या यूपी से भाग गए हैं या सपा के उम्मीदवारों की सूची में हैं.

गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 में सहारनपुर, मेरठ और मुरादाबाद डिवीजनों में 71 में से 51 सीटें जीती थीं. पिछले तीन चुनावों के दौरान प्राप्त जनाधार को बरकरार रखने के मद्देनज़र भाजपा एक बार फिर से “मुजफ्फरनगर मॉडल” और “ कैराना पलायन“ जैसे मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की रणनीति पर काम कर रही है.

Amit Shah
BJP

बहरहाल, ये मुद्दे फिर इन इलाकों में कितने जोर-शोर से मतदाताओं को प्रभावित करेंगे ये आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन इस हकीकत को नकारा नहीं जा सकता कि इलाके का एक बड़ा वर्ग रोजगार, गन्ना की बकाया राशि, कृषि सुधारों जैसे मुद्दों को लेकर काफी उद्वेलित है.

हालांकि, सपा-रालोद गठबंधन भी तरीके से भाजपा के हमले का जवाब दे रही है. अलीगढ़ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा पश्चिम यूपी में किसानों के मुद्दों को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा को ये एहसास है कि किसान विरोधी नीतियों की वजह से इन इलाकों में उनकी हार तय है. इसी हताशा-निराशा में योगी “गर्मी निकल जाएगी” जैसी बेतुका टिप्पणी कर रहे हैं.

अखिलेश का “भाईचारा बनाम भाजपा”

अखिलेश यादव ने कहा कि सपा-रालोद गठबंधन चुनाव में “भाईचारा बनाम भाजपा” के नारे के साथ उतरी है. इस गठबंधन का दावा है कि ये भाईचारा किसी भी सूरत में माहौल को जहरीला नहीं बनाने देगा और न ही भाजपा को कोई ऐसा मौका मिलेगा जिससे इलाके में वोटों का ध्रुवीकरण हो सके।

ये एक हकीकत है कि पश्चिमी यूपी के इलाकों में किसानों के दिलो-दिमाग में अभी भी कई महीनों तक किसान आंदोलन की याद तरो ताजा है. वे उस मुश्किल दौर को भूल नहीं पाए है.

सत्ता के नशे में चूर है भाजपा- जाट मतदाता

इलाके के एक जाट मतदाता रविन्द्र टिकैत कहते हैं, “भाजपा सत्ता के मद में चूर थी. और उनके घमंड ने आधा हिस्सा कानून-वापसी के तौर पर मटियामेट कर ही दिया गया। बाकी आधा घमंड चुनाव के दौरान समाप्त कर दिया जाएगा.”

जाट समुदाय इस इलाके का एक ताकतवर और प्रभावशाली वर्ग है जो ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का लगभग 20 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों में जाट समुदाय छोटी जातियों को भी प्रभावित करता है क्योंकि छोटी जातियों का वित्तीय हित जाट समुदाय के साथ जूड़ा हुआ है.

क्या गन्ना करेगा सपा-रालोद की जीत की राह आसान

इतना ही नहीं, सपा-रालोद गठबंधन भी ये समझ रहा है कि इलाके के किसानों को जज्बाती मुद्दों से नहीं बल्कि उनकी समस्या और आर्थिक पहलू पर संवेदनशील एप्रोच रख कर ही मतदाता को रिझाया जा सकता है. तभी तो पश्चिमी यूपी के चुनावी दौरे के दौरान गठबंधन ने अपने विजय रथ पर गन्ने का एक बंडल रखा था और लोगों का अभिवादन वे इसी गन्ने के बंडल को दिखा कर रहे थे. इस प्रचार का संदेश स्पष्ट था कि सपा-रालोद गठबंधन किसानों के मुद्दों के इर्द-गिर्द खुद को रखना चाहती है.

गन्ने की बकाया राशि का भुगतान भी न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि रूहेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी एक बड़ा मुद्दा है. और किसानों की नब्ज पकड़ते हुए अखिलेश यादव ने ये ऐलान कर दिया है कि सारी बकाया राशि का भुगतान 15 दिनों के अंदर किया जाएगा और इसके लिए वो एक फंड भी बनाएंगे.

काफी लंबे समय से भारतीय किसान संघ (बीकेयू) ये मांग उठाता रहा है. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कैराना और मुजफ्फरनगर मॉडल पुराना हो चुका है और इस चुनाव में काम नहीं करेगा . उन्होंने कहा, “अगर बीजेपी सचिन और गौरव के परिवार (उनकी हत्याओं ने 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे को भड़काया था) के बारे में चिंतित है, तो भाजपा को उसके परिवार के सदस्यों को एमपी या एमएलसी बनाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही उन्हें सचिन और गौरव के बारे में बात करनी चाहिए.“

बहरहाल, चुनाव के बाद इस इलाके में किसकी जीत होगी ये तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा लेकिन अभी के हालात को देखकर ये कहा जा सकता है कि सपा-रालोद बढ़त बनाए हुए है. जाट-गौरव, किसानों के मुद्दे और जाट-मुस्लिम भाईचारे का साफ असर फिलहाल तो दिख ही रहा है.

Written By: पंकज चौधरी

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