‘मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं…’, विधानसभा में भावुक होकर बोले सीएम उमर अब्दुल्ला

Omar Abdullah Speech :

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

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Omar Abdullah Speech : जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए मौन रखा गया, साथ ही इस हमले की जमकर निंदा की गई। विशेष सत्र के दौरान निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, मुझे यकीन नहीं होता कि कुछ दिन पहले इस हाउस में बजट और कई मुद्दों पर बहस हुई। अंतिम दिन हम चाय पी रहे थे और सोच रहे थे कि कश्मीर में अगला सत्र होगा। तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि हमें यहां इस माहौल में मिलना पड़ेगा।

‘उपराज्यपाल का शुक्रिया, जिन्होंने हमारी विनती पर यह सत्र बुलायाट’

अपने संबोधन के दौरान सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि मैं उपराज्यपाल का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि जिन्होंने हमारी विनती पर यह सत्र बुलाया। हमारे मंत्रिमंडल ने इस हमले के बाद एक बैठक में निर्णय लिया था कि हम उपराज्यपाल से गुजारिश करेंगे कि वह एक दिन का सेशन बुलाए। उन्होंने कहा, यह सेशन इसलिए बुलाया गया क्योंकि ना सांसद और ना कि किसी और राज्य की असेंबली उन लोगों के दुख दर्द को उतना समझती है जितना जम्मू-कश्मीर की असेंबली।

उमर अब्दुल्ला ने कहा, स्पीकर साहब आप अपने आगे पीछे देखिए आपके आसपास ऐसे लोग बैठे हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। किसी ने यहां अपने पिता को खोया किसी ने अंकल को। हम में से कितने हैं जिनके पर हमले हुए।

‘पूरा मुल्क इस हमले की लपेट में आया’

उन्होंने कहा, उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक पूरा मुल्क इस हमले की लपेट में आया है। यह पहला हमला नहीं था। कई हमले होते देखे हैं। डोडा, अमरनाथ यात्रा, कश्मीरी पंडितों, सरदारों की बस्तियों पर हमले होते देखे। आम नागरिकों पर 21 साल के बाद इतना बड़ा हमला हुआ है।

‘हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया’

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ” हम में से कोई इस हमले के साथ नहीं है। इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है। 26 सालों में मैंने पहली बार लोगों को इस तरह घरों से बाहर आते देखा है। कठुआ से लेकर कुपवाड़ा तक शायद ही ऐसा कोई शहर या गांव ऐसा होगा, जहां लोगों ने घरों से बाहर आकर इस हमले की निंदा नहीं की। Not in My name… ये हर कश्मीरी बोल रहा है।

उमर अब्दुल्ला हुए भावुक

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भावुक होते हुए कहा, ”मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री होने के नाते हमने लोगों को न्योता दिया था यहां आने के लिए। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं सभी को यहां से सुरक्षित भेजूं। नहीं भेज पाया। माफी मांगने के अल्फाज नहीं थे। क्या कहता उनको? छोटे बच्चों को। जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा देखा। उस नेवी अफसर के विधवा को, जिसकी शादी ही कुछ दिनों पहले हुई थी।”

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