GST काउंसिल की बैठक में पेट्रोल-डीजल पर नहीं बनी कोई बात, जीएसटी के दायरे में शामिल किए जाने पर कोई फैसला नहीं

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लखनऊ: GST काउंसिल की 45वीं बैठक में शुक्रवार को कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है। लेकिन जो ख़बर चर्चाओं में थी कि पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। इस पर ऐसा कोई फ़ैसला नहीं हो सका।

लगभग दो सालों में पहली दफा इस बैठक में सभी सदस्यों ने आमने सामने बैठकर इन मुद्दों पर चर्चा की। लखनऊ में हुई इस बैठक की अध्यक्षता खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की।

बैठक में क्या-क्या फ़ैसले हुए?

उत्तर प्रदेश के वित्त राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी में शामिल किए जाने को लेकर बैठक में कोई फ़ैसला नहीं हुआ है। इससे पहले दिल्ली के वित्त राज्य मंत्री ने भी कहा था कि पेट्रोल और डीज़ल की को जीएसटी के दायरे में लाने का ये सही वक्त नहीं है क्योंकि इसका सीधा असर राजस्व पर पड़ सकता है, जिसके बारे में विचार किया जानी ज़रूरी है।

साथ ही डीज़ल में मिलाए जाने वाले बायोडीज़ल पर जीएसटी को 12 % से घटा कर 5% फीसदी कर दिया गया है। बायोडीज़ल की खरीदारी तेल मार्केटिंग कंपनियां करती हैं।

इसके अलावा ज़ोलोजेन्स्मा और विलेटेस्टो जैसी आयात की जाने वाली महंगी जीवनरक्षक दवाओं को फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि इन दवाओं का इस्तेमाल कोविड-19 के इलाज में नहीं होता है।

कोरोना संक्रमण के मामलों को ध्यान में रखते हुए कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं समेत कुछ और दवाओं पर जीएसटी में दी गई छूट को 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। पहले ये छूट 30 सितंबर तक थी। हालांकि ये छूट केवल रेमडेसिवीर पर लागू होगी, मेडिकल उपकरणों पर छूट होगी।

साथ ही कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर लगने वाले जीएसटी को 12 फीसदी से कम कर के 5 फीसदी कर दिया गया है।

साथ ही गाड़ियों और रेलगाड़ियों के कुछ पुर्जों पर लगने वाली 12 फीसदी जीएसटी में इजाफा किया गया है। इसे बढ़ा कर 18 फीसदी किया जाएगा।

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