‘अभियव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिफ़ाज़त’ के प्रयास के लिए दो पत्रकारों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, ‘शरणार्थियों का मार्मिक वर्णन’ के लिए उपन्यासकार भी हुए सम्मानित
नई दिल्ली: इस साल के नोबेल शांति पुरस्कारों में दो नाम और शुमार हो गए हैं। पत्रकार मारिया रेस्सा और दिमित्री मुरातोव को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। नोर्वे की नोबेल कमेटी ने थोड़ी देर पहले ही इसका एलान किया है।
दोनों पत्रकारों को अभियव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिफ़ाज़त के प्रयास के लिए ये पुरुस्कार दिया गया है।
नोबेल प्राइज़ संस्थान के अधिकारिक हैंडल की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है – नोरवेयन नोबेल कमेटी ने 2021 नोबेल प्राइज देने का फैसला मारिया रेस्सा और दिमित्री मुरातोव को किया है। क्योंकि इन दोनों ने बोलने की आज़ादी की सुरक्षा करने की कोशिश की है जो लोकतंत्र और शांति की एक ज़रूरी शर्त है।”
मारिया रेस्सा से फिलीपिंस की जानी-मानी पत्रकार हैं जो रेपलर नाम की वेबसाइट चलाती हैं। उन्हें सरकार से सवाल करने के कारण बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
रेस्सा का जन्म फिलीपिंस में हुआ था लेकिन वो बचपन में ही अमेरिका चली गई थी। जिसके बाद उन्होने अपनी पढ़ाई प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से की है।
दिमित्री मुरातोव, जो कि रूस के पत्रकार हैं और उन्होंने नोवाजा गज़ेता नाम के एक स्वतंत्र अख़बार की स्थापना की है। वे दशकों से रूस में बोलने की आज़ादी की हिमायती रहे हैं।
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को साढ़े आठ करोड़ रुपये के करीब की धनराशि मिलती है। इन दोनों का चुनाव 329 उम्मीदवारों में से किया गया है।
इस वर्ष अन्य मशहूर उम्मीदवारों में पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग, मीडिया राइट्स ग्रुप रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन शामिल थे।
अब्दुलरजाक गुरनाह को 2021 का साहित्य नोबेल पुरस्कार मिला
इसके अलावा तंजानिया के उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुरनाह को 2021 का साहित्य नोबेल पुरस्कार मिला है। उन्हें उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों और महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थियों की स्थिति के करुणामय, दयालू चित्रण को लेकर ये सम्मान दिया गया है। उन्होंने अपने उपन्यासों में शरणार्थियों का मार्मिक उल्लेख किया है।