न्यायिक ढांचे में कई कमियां हैं, मेरे उत्तराधिकारियों के लिए ये समस्या होगी: CJI एन वी रमन्ना
शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने देश की न्यायिक ढांचे में सुधार पर जोर दिया। मुख्य न्यायाधीश तीन दिनों के आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं। इस दौरान विजयवाड़ा में एक नागरिक स्वागत समारोह में उन्होंने कहा, सभी प्रणालियों की तरह न्यायपालिका भी कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना कर रही है। मेरे पूर्व के मुख्य न्यायाधीशों ने भी इसका उल्लेख किया था। मैं उन मुद्दों को भी उठा रहा हूं। यह मेरे उत्तराधिकारियों के लिए भी एक बारहमासी समस्या होगी, क्योंकि धीरे-धीरे हम न्यायपालिका और कानूनी शिक्षा के महत्व को भूल रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अदालतों में 4.60 करोड़ मामले लंबित हैं और भारत जैसे देश के लिए यह संख्या बड़ी नहीं है, जिसकी आबादी लगभग 150 करोड़ है।
भारतीय न्याय व्यवस्था औपनिवेशिक है: CJI एन वी रमन्ना
इससे पहले भी मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने भारतीय न्याय व्यवस्था की कमियों को लेकर बोल चुके हैं। इसी साल सितंबर में कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय न्याय व्यवस्था औपनिवेशिक है और भारतीय आबादी के अनुकूल नहीं है।
इसी कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा था, आम आदमी को जजों और अदालतों से डरना नहीं चाहिए। अदालतों को जनता की सहजता का ख्याल रखना चाहिए। किसी भी कानूनी प्रणाली का केंद्र बिंदु वादी(Litigant) होता है। न्यायालय पारदर्शी और जवाबदेह प्रकृति के होने चाहिए, लेकिन ग्रामीण लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है और वे अंग्रेजी में कार्यवाही नहीं समझते हैं। वे पैसा भी अधिक खर्च करते हैं।
पूरी ख़बर पढे़ : कानूनी व्यवस्था औपनिवेशिक है, भारतीय आबादी के अनुकूल नहीं