लखीमपुर हिंसा मामले में यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछे 5 सवाल

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नई दिल्ली: सोमवार को लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में तीसरी बार सुनवाई की गई। कोर्ट ने इस मामले पर कई आपत्ति जताई है। चीफ जस्टिस एन.वी रम्मना ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि मोबाइल टावर से मोबाइल डेटा का क्या हुआ? बाकी आरोपियों के मोबाइल का क्या हुआ? क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे ? केवल आरोपी आशीष मिश्र का ही मोबाइल मिला ?  हमने 10 दिन का समय दिया था लेकिन लैब की रिपोर्ट भी नहीं आई?

जिसके जवाब में यूपी सरकार की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लैब ने 15 नवंबर तक रिपोर्ट देने को कहा है।  

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एन.वी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली कर रहे हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, जैसा जांच की अपेक्षा हम कर रहे थे वैसी जांच नही की जा रही है।

जस्टिस हिमा कोहली ने टिप्पणी करते हुए कहा, FIR 219 और FIR 220 को ओवरलैप कर एक ‘विशेष’ आरोपी को लाभ दिया जा रहा है।

बता दें राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज प्रदीप कुमार को जांच की देखरेख के लिए नियुक्त किया। इसपर सुप्रीम ने यूपी सरकार से कहा, हमें विश्वास नहीं है कि आपकी राज्य न्यायिक समिति इसकी देखरेख करेगी, इसलिए जांच कमेटी में बाकी राज्यों के हाईकोर्ट के सेवानिवृत को शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस दौरान पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन और रंजीत सिंह को इस जांच का हिस्सा बनाने की सिफारिश की।

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