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ममता कैबिनेट में फेरबदल,बाबुल सुप्रियो से पर्यटन विभाग लिया वापस

ममता कैबिनेट में फेरबदल,बाबुल सुप्रियो से पर्यटन विभाग लिया वापस

ममता कैबिनेट में फेरबदल,बाबुल सुप्रियो से पर्यटन विभाग लिया वापस

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की स्पेन और दुबई यात्रा से पहले कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा जोरों पर थी। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को अपनी रवानगी से पहले सोमवार को यह फेरबदल पूरा कर लिया। मंत्रिमंडल फेरबदल में ममता बनर्जी ने बाबुल सुप्रियो की जिम्मेदारी थोड़ी कम कर दी। इसके साथ ही वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की अहमियत बढ़ गयी है। बाबुल सुप्रियो का पर्यटन विभाग इंद्रनील सेन को दे दिया गया।

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इंद्रनील सेन पूर्व में पर्यटन विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री थे। इसके साथ ही वन के साथ सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक पुनर्निर्माण विभाग ज्योतिप्रिय मल्लिक को दे दिया गया। बाबुल सुप्रियो के पास आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग बना रहेगा। पर्यटन उनके पास था। इस बार बाबुल सुप्रियो को पर्यटन की जगह असामान्य ऊर्जा विभाग मिला है।

वहीं इंद्रनील सेन सूचना एवं संस्कृति विभाग के राज्य मंत्री थे। फिर से उन्हें टूरिज्म विभाग की स्वतंत्र जिम्मेदारी दी गई है। प्रदीप मजूमदार के पास पंचायत कार्यालय था। कैबिनेट फेरबदल में उनकी अहमियत बढ़ी है।

सहकारिता विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी मध्य हावड़ा के विधायक अरूप रॉय की अहमियत कुछ कम हो गयी है। खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने उन्हें सहकारिता से हटा दिया है।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सीएम ममता बनर्जी के पास गृह, पार्वत्य विभाग, कार्मिक एवं प्रशानिसक सुधार विभाग, स्वास्थ्य एवं पारिवार कल्याण विभाग, भूमि और भूमि सुधार विभाग, शरणार्थी पुनरुथान विभाग, सूचना और संस्कृति विभाग, योजना-सांख्यिकी एवं मदरसा और अल्पसंख्यक विभाग हैं।

मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को वन विभाग के साथ-साथ इस बार औद्योगिक पुनर्निर्माण विभाग विभाग का भी दायित्व दिया गया है। वह उत्तर 24 जिला के टीएमसी के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं और सीएम के काफी करीबी हैं।

अब तक कार्यालय में फेरबदल की जानकारी में उत्तर दिनाजपुर विधायक गोलाम रब्बानी के पास अब विभाग नहीं हैं। उनके पास काफी समय से खाद्य प्रसंस्करण विभाग था। चूंकि यह अरूप रॉय के पास चला गया, रब्बानी के पास कोई पद नहीं रह गया है।बता दें कि मंत्रिमंडल के विभागों के फेरबदल किये गए हैं। इस फेरबदल में मंत्रियों को नये विभाग आवंटित किए गये हैं। किसी नए विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। इस कारण मंत्री पद की शपथ दिलाने की जरूरत नहीं है।

वर्तमान राज्यपाल और ममता बनर्जी के बीच टकराव चल रहा है। इस टकराव में ममता बनर्जी नहीं चाहती थी कि मंत्रियों के शपथ समारोह को लेकर कोई विवाद पैदा हो। राजनीतिक विश्लेषकों को कहना है कि इस कारण नए किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है।

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