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RBI ने बैंकों और अन्य इकाइयों के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन को लेकर ड्राफ्ट फ्रेमवर्क किया जारी

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New Delhi : आरबीआई ने बैंकों, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, एनबीएफसी और अपने दायरे में आने वाली अन्य इकाइयों के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन को लेकर ड्राफ्ट फ्रेमवर्क जारी किया है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि ऐसे सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन टेक्नोलॉजी एक्सपर्टीज का उपयोग करके नियमों की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं।

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नियामकीय नीतियों को तैयार करने में मदद करते हैं  

इसके साथ ही तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं तथा बारीकियों पर जानकारी देकर नियामकीय नीतियों को तैयार करने में भी मदद करते हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन, ट्रांसपेरेंसी, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकते हैं।

ड्राफ्ट फ्रेमवर्क में क्या कहा गया है?

इसके अलावा ड्राफ्ट फ्रेमवर्क में कहा गया है कि कुल मिलाकर सेल्फ-रेगुलेशन बेहतर कंपल्यांस के लिए मौजूदा नियमों/सांविधिक ढांचे का पूरक होगा। आरबीआई के दायरे में आने वाली इकाइयों के लिये सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन को लेकर जारी नियमों के साझा मसौदे पर लोगों से 25 जनवरी 2024 तक टिप्पणियां मांगी गयी है।

मसौदे में क्या है?

ड्राफ्ट में कहा गया है कि एसआरओ फ्रेमवर्क के लिये साझा मसौदा व्यापक उद्देश्यों, कार्यों, पात्रता मानदंड और संचालन मानकों को निर्धारित करता है। चाहे क्षेत्र कोई भी हो, यह सभी सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन के लिए समान होगा।

नियमों को लागू करने में सक्षम होंगे

इस प्रस्ताव के अनुसार एक एसआरओ के पास नैतिक, पेशेवर और संचालन मानकों को निर्धारित करने और सदस्यों पर इन मानकों को लागू करने को लेकर सदस्यता समझौतों के जरिये प्राप्त पर्याप्त अधिकार होना चाहिए। ऐसे नियामक संगठनों के पास अपने सदस्यों के आचरण से संबंधित नियम बनाने के लिए उद्देश्यपूर्ण, अच्छी तरह से परिभाषित और परामर्श प्रक्रियाएं होनी चाहिए और वे इन नियमों को लागू करने में सक्षम होंगे।

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