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संसदीय समिति ने अपनाई आपराधिक कानूनों पर बनी रिपोर्ट

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New Delhi: संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने मौजूदा आपराधिक कानूनों (Criminal Laws) को बदलने वाली विधेयकों पर 3 रिपोर्टों को अपना लिया है। लेकिन, कुछ विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट भी सौंप दिए हैं।

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बीजेपी मेम्बर बृज लाल की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय समिति की मीटिंग के तकरीबन दस दिन बाद सदस्यों ने बीते माह के अंत में प्रसारित मसौदा रिपोर्टों का अध्ययन करने के लिए अतिरिक्त वक्त मांगा था।

विपक्षी सदस्यों ने सौपें असहमति नोट

कुछ विपक्षी सदस्यों ने पहले ही भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के साथ बदलने के लिए 3 विधेयकों के रिपोर्ट पर अपने असहमति नोट जमा कर दिए हैं। कुछ अन्य विपक्षी मेम्बर्स द्वारा नियमानुसार अगले 2 दिनों में असहमति नोट जमा करने की भी उम्मीद है।

27 अक्टूबर को नहीं अपना सकी थी मसौदा रिपोर्ट

27 अक्टूबर को स्थायी समिति 3 मसौदा रिपोर्टों को नहीं अपना सकी थी। क्योंकि, कुछ विपक्षी सदस्यों ने इसका अध्ययन करने के लिए ज़्यादा समय देने का दबाव डाला था।

तीन माह के विस्तार का अनुरोध

27 अक्टूबर को विपक्षी मेम्बर्स द्वारा मूल्यांकन के लिए अतिरिक्त वक्त मांगने के चलते गृह संबंधी स्थायी समिति 3 मसौदा रिपोर्टों को अपनाने में असमर्थ रही थी। विपक्षी सदस्यों ने अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए विधेयकों को जल्दबाजी में पारित करने की चिंताओं का हवाला देते हुए स्थायी समिति के चेयरमैन बृज लाल से इसके कार्यकाल में 3 माह के विस्तार का अनुरोध करने का आग्रह किया था। उन्होंने हाशिये पर पड़े समुदायों की सेवा करने वाले मजबूत कानून की जरुरत पर जोर दिया और अंतिम रिपोर्ट को जल्दबाजी में अपनाने के बारे में अपनी आपत्तियां व्यक्त की।

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