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Law Asia: काम के चलते न्यायाधीश और उनके परिवार करते हैं त्याग

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Law Asia: दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने सोमवार को लोगों के बीच गलत धारणा को दूर करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को वास्तव में प्रतिदिन 14 से 15 घंटे काम करना पड़ता है। जिसके चलते उन्हें निजी जीवन और प्रोफेशनल जीवन को संतुलित बनाए रखने में बहुत मुश्किल आता है, न्यायमूर्ति सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि क्या भारत में बड़ी संख्या में लंबित मामलों से निपटने के लिए अदालत की छुट्टियों को खत्म किया जाना चाहिए।

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Law Asia: मीडिया रिपोर्ट का दिया हवाला

न्यायमूर्ति ने संबोधन में कहा, “मैं अक्सर मीडिया में पढ़ता हूं कि हमें गर्मी की छुट्टियां, सर्दी की छुट्टियां बंद कर देनी चाहिए। ऐसी धारणा है कि जज 10:30 से 4:30 बजे तक काम करते हैं और फिर गोल्फ खेलते हैं। हम कोर्ट आने से दो घंटे पहले काम करते हैं। फिर कोर्ट में बैठते हैं 4:30 बजे तक। फिर आदेशों को अंतिम रूप देने से पहले एक घंटे के लिए प्रशासनिक कार्य करत है फिर कल के लिए संक्षिप्त विवरण पढ़ते हैं। इसतरह  भारत में न्यायाधीश प्रतिदिन 14 से 15 घंटे काम करते हैं।

Law Asia: न्यायाधीश के परिवार करते है त्याग

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यह भी कहा, “न्यायाधीश बहुत त्याग करते हैं, लेकिन उनके परिवार अधिक त्याग करते हैं।” बता दें कि न्यायमूर्ति सिंह ने LAW ASIA सम्मेलन में यह टिप्पणी कीं। इस सम्मेलन में श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अर्जुन ओबेयेसेकेरे, नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सपना प्रधान मल्ल, ऑस्ट्रेलिया के न्यायाधीश डगलस जॉन हम्फ्रेस सीएससी ओएएम संघीय सर्किट और परिवार न्यायालय और न्यायमूर्ति ब्रायन प्रेस्टन शामिल थे।

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