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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने लिखी अपनी आत्मकथा

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नई दिल्ली: चंद्रयान मिशन, आदित्य एल-1 सौर मिशन और गगनयान परीक्षण वाहन की लांचिंग के मध्य 59 वर्षीय ISRO चीफ एस सोमनाथ (S Somnath) ने बच्चों और युवाओं को जागरूक (Aware) करने के लिए अपनी आत्मकथा (Autobiography) लिखी है। उनकी यह कोशिश उन प्रतिभावानों को प्रेरित करना है, जिनमें अभी विश्वास की कमी है। इसमें एस सोमनाथ ने कॉलेज के दिनों में सामने आने वाली परेशानियों का जिक्र किया है।

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नवंबर में उपलब्ध होगी इनकी आत्मकथा

एस सोमनाथ कॉलेज के दिनों में बस की यात्रा का खर्च वहन न कर पाने के कारण पुरानी साइकिल से कॉलेज जाते थे। इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल की फीस के पैसे न होने के कारण छोटे से एक लॉज में रहते थे। उनकी आत्मकथा निलावु कुदिचा सिम्हांगल मलयालम में लिखी गई है, जो बाजार में नवंबर में उपलब्ध होगी। मलयालम में किताब लिखने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें उन्हें सहजता महसूस होती है।

चंद्र मिशन ने समाज में बड़ा प्रभाव डाला

एस सोमनाथ ने कहा कि शुरुआती दौर में मुझे कोई भी सही दिशा दिखाने वाला नहीं था। मुझे यह भी पता नहीं था कि B.Sc करूं या इंजीनियरिंग। आत्मकथा लिखने का मकसद लोगों को प्रतिकूलताओं से जूझते हुए सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना है। चंद्र मिशन ने समाज में बड़ा प्रभाव डाला है। कितने लोग, विशेषकर बच्चे इसकी सफलता से प्रेरित हो रहे हैं। वे समझ गए हैं कि भारत एंव भारतीय ही सिर्फ ऐसे महान काम कर सकते हैं।

एस सोमनाथ ने भाग्य या मेहनत के बारे कहा कि शुरुआत में कुछ भाग्य का साथ मिलना चाहिए। पर अपने रास्ते में आने वाले मौकों को स्वीकार करने और उपयोग करने के लिए तैयार रहना जरुरी है। कई लोग एक मकसद के साथ हमारे जीवन में आएंगे। उनकी भूमिका का एहसास करने में हमें सक्षम होना ही चाहिए। 

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