Domestic Violence: भरण-पोषण संबंधित मामले को लेकर कोर्ट ने दिया फैसला
Domestic Violence: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम पीड़ित महिलाओं को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए कोई अप्रत्याशित लाभ की व्यवस्था नहीं करता है। न्यायालय ने आगे कहा कि एक पीड़ित महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मुआवजे या भरण-पोषण की हकदार नहीं है, जब तक कि महिला के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए कुछ सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाए जाते।
Domestic Violence: 1 दिसंबर को कोर्ट ने सुनाया फैसला
1 दिसंबर को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि घरेलू हिंसा अधिनियम पीड़ित पक्ष को तत्काल राहत और सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है और यह अंतरिम राहत की व्यवस्था करता है जिस पर अदालत तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर विचार कर सकती है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता कार्यवाही में अप्रत्याशित लाभ पाने और न्यायिक विवेक का प्रयोग किए बिना भरण-पोषण या मुआवजा पाने की हकदार है”।
Domestic Violence: निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए की टिप्पणी
न्यायमूर्ति पुनीत गुप्ता ने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक व्यक्ति और उसके भाई को सामूहिक रूप से ₹5 लाख की एकमुश्त राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। घरेलू हिंसा से पीड़ित होने का दावा करने वाली महिला को अंतरिम भरण-पोषण के लिए निर्देश दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने पति को प्रति माह अपने वेतन का 25 प्रतिशत अंतरिम गुजारा भत्ता के रूप में देने का भी निर्देश दिया था।
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