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पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ़ कुल 121 केस लंबित, वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने की जांच समिति के गठन की मांग

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व न्यायमित्र विजय हंसारिया ने मंगलवार को एक रिपोर्ट के जरिये सुप्रीम कोर्ट के सामने एक सुझाव रखा है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश या हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए, जो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) की ओर से वर्तमान और सभी पूर्व विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच व कार्यवाही में हो रही देरी के कारणों का मूल्यांकन कर सके।

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समिति में ईडी प्रमुख और गृहसचिव को शामिल करने की मांग

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस समिति में सीबीआई और ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा और गृह सचिव को भी शामिल किया जाए। समिति इस बात पर ध्यान दे कि जांच ठीक से हो और उसे समय पर पूरी करने के निर्देश जारी किये जाएं।

हंसारिया ने कोर्ट को ये भी बताया कि देश भर की CBI कोर्ट में वर्तमान, पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ़ कुल 121 केस लंबित हैं। जिसमें से एक तिहाई मामलों पर कार्यवाही बेहद धीमी गति से चल रही है, क्योंकि जो अपराध कई सालों पहले हुए थे, उन अपराधों के आरोपियों पर लगे इल्जाम अभी तक साबित नहीं हो सके हैं। इन मामलों में से 58 केसों में आजीवन कारावास का प्रावधान है जबकि 37 मामलों की CBI  जांच लंबित है।

2016 में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने वर्तमान, पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों में तेजी लाने के निर्देश जारी करने की मांग की थी। इसी याचिका पर वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि Special CBI Court में लंबित 121 केसों में से 45 मामलों के आरोप अभी तक सिद्ध भी नहीं हुए हैं।

रिपोर्ट में विजय हंसारिया ने पूरे देश के CBI  कोर्ट्स में लंबित मामलों की सुनवाई में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान खिंचा है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में ईडी की रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए बताया गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत 51 सांसद व पूर्व सांसद आरोपी हैं। हालांकि, वर्तमान और पूर्व सांसदों की संख्या स्पष्ट नहीं हैं। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि लंबित मामलों की आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-30

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