
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बहुत शक्तिशाली है। कहते हैं मां कालरात्रि की विधि-विधान के साथ पूजा करने से जीवन में आ रही सभी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती हैं। उनकी पूजा करते समय कथा, आरती और मंत्र जरूर पढ़ने चाहिए। इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और जातकों को अपना आशीर्वाद देती हैं। ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अद्भुत परिणाम देता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि से जुड़ी समस्या है, उनके लिए भी कालरात्रि की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है।
मां कालरात्रि का मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:.’
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि की पूजा-विधि
नवरात्रि के सातवें दिन मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं। देवी को लाल फूल अर्पित करें। साथ ही गुड़ का भोग लगाएं। देवी मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। फिर लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें। बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें। इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण करके तंत्र-मंत्र की विद्या से किसी को नुकसान ना पहुंचाएं।