
क्या आपको पता है कि बुलडोजर का आविष्कार कब हुआ था? बुलडोजर मुख्य रूप से कंस्ट्रक्शन के काम में आता है। आजकल बुलडोजर का रंग पीला होता है। भारत में बुलडोजर ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। यूपी से शुरू हुआ बुलडोजर अब मध्यप्रदेश भी पहुंच गया है। एमपी में भी बुलडोजर खूब चल रहा है। आइए जानते हैं बुलडोजर को किसने बनाया और यह कैसे काम करता है?
बुलडोजर का आविष्कार
पहले बुलडोजर का इस्तेमाल किसानों द्वारा खेतों में किया जाता था। बुलडोजर का आविष्कार इंजीनियरिंग की दुनिया के सबसे जरूरी आविष्कारों में से एक है। आज बुलडोजर की जरूरत इस कदर बढ़ी है कि बिना इसके कोई काम नहीं हो पाता है।
बुलडोजर का आविष्कार जेम्स कमिंग्स और जे. अर्ल मैक्लायड ने 18 दिसंबर 1923 में किया था। अपने शुरुआती दौर में इसका उपयोग खेतों में होता था। समय के साथ इसकी उपयोगिता बढ़ती गई और फिर बिल्डिंग बनाने, रेत, मिट्टी बालू आदि की खुदाई और बड़ी कंटरों में भरने के लिए होने लगा।
ट्रैक्टर के साथ होता था इस्तेमाल
1925 में ‘अटैचमेंट फॉर ट्रैक्टर्स’ नाम से बुलडोजर को पेटेंट करा लिया गया। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका शक्तिशाली इंजन है। यह बड़ी से बड़ी चीजों से आसानी से धक्का या तोड़ा जा सकता है। 1940 में बुलडोजर का इस्तेमाल सिर्फ ट्रेक्टर के साथ किया जाता था। लेकिन बाद में इसे एक अलग मशीन बना दिया गया। अब बुलडोजर खराब और उबड़-खाबड़ रास्तों पर भी चल सकता है।
बुलडोजर को जेसीबी कंपनी बनाती है। जेसीबी कंपनी को 1945 में बनाया गया था। पहले कंपनी नीले और लाल रंग का बुलडोजर बनाती थी। 1964 में बुलडोजर के अपग्रेड करके बैकहो लोडर बनाया गया और बुलडोजर का कलर पीला किया गया।
बुलडोजर का माइलेज?
बुलडोजर सिर्फ एक जगह ही काम करता है इसलिए बुलडोजर का माइलेज घंटे के हिसाब लगाया जाता है। बुलडोजर 4-6 लीटर प्रति घंटे का माइलेज देता है। भारत में जेसीबी का 2DX मॉडल बहुत लोकप्रिय है। माइलेज टेस्ट डॉटकॉम वेबसाइट के मुताबिक यह 4 लीटर प्रति घंटा का माइलेज देता है।