
रविंद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन: 7 मई को रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती है। उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता (कलकत्ता) में हुआ था। टैगोर भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन के रचयिता थे। आज उनकी 161वीं जयंती है। रविंद्रनाथ टैगोर एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। केवल 8 वर्ष की उम्र में उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था।
16 साल की उम्र उन्होंने छद्म नाम ‘भानुसिम्हा’ के तहत कविताओं का अपना पहला संग्रह जारी कर दिया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने सिर्फ भारत की राष्ट्रगान ही नहीं बल्कि बांग्लादेश का भी राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ लिखा था।
टैगोर उन दिग्गजों में से एक थे जिन्होंने देश की समृद्धि को उजागर करने के लिए दुनिया भर की यात्रा की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्र में विविधता इसकी ताकत है न कि कमजोरी। टैगोर पहले गैर-यूरोपीय थे जिन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार (साहित्य के लिए) से सम्मानित किया गया।
7 अगस्त 1941 को रविंद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया। रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती के मौके पर आपको उनके अनमोल वचनों के बारे में बताते हैं।
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रविंद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन
1. प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है – रविंद्रनाथ टैगोर
2. संगीत दो आत्माओं के बीच के अनंत को भरता है – रबीन्द्रनाथ टैगोर
3. मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती – रविंद्रनाथ टैगोर
4. विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है, और गाने लगता है – रविंद्रनाथ टैगोर
5. चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है – रविंद्रनाथ टैगोर
6. प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है – रविंद्रनाथ टैगोर
7. तितली महीने नहीं क्षण गिनती है और उसके पास पर्याप्त समय होता है – रविंद्रनाथ टैगोर
8. समय परिवर्तन का धन है, परन्तु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं – रविंद्रनाथ टैगोर
9. प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता, बल्कि स्वतंत्रता प्रदान करता है – रविंद्रनाथ टैगोर